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आओ पेड़ लगायें

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आओ पेड़ लगायें चलो चलें एक पेड़ लगायें,  धरती में खुशहाली लायें । पेड़ लगाकर घेरा बनायें,  गाय बकरी से उसे बचायें । सुबह शाम हम पानी डालें,  सुरक्षा का उपाय अपना लें । धीरे धीरे पेड़ बढ़ेंगे,  मैना गिलहरी उस पर चढेंगे । सबको मिलेगी शीतल छाँव,  सुंदर दिखेगा मेरा गाँव । फल फूल भी रोज मिलेगा,  सबका मन खुशी से खिलेगा । कभी नही इसको काटेंगे , फल फूल को रोज बाँटेंगे । हो हमारे सपने साकार,  पेड़ जीवन का है आधार । रचनाकार महेन्द्र देवांगन "माटी " पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com

बरस जा बादर

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बरस जा बादर , गिर जा पानी, देखत हावन । तरसत हावन, तोर दरस बर, कहाँ जावन । आथे बादर, लालच देके, तुरंत भगाथे । गिरही पानी, अब तो कहिके, आश जगाथे । सुक्खा हावय, खेत खार हा,  कइसे बोवन । बइठे हावन, तोर अगोरा, सबझन रोवन । झमाझम अब, गिर जा पानी, हाथ जोरत हन । सबो किसान के,  सुसी बुता दे, पाँव परत हन । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कबीरधाम ) छत्तीसगढ़ @ Mahendra Dewangan Mati

योग करो

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योग करो *********** योग करो भई योग करो , सुबे शाम सब योग करो । मिल जुल के सब लोग करो , ताज़ा हवा के भोग करो । योग करो भई योग करो  ।। जल्दी उठ के दंउड लगाओ, आगे पीछे हाथ घुमाओ । कसरत अऊ दंड बैठक लगाओ , शरीर ल निरोग बनाओ । प्राणायाम अऊ ध्यान करो । योग करो भई योग करो ।। सुबे शाम सब घुमे ल जाओ , शुद्ध हवा ल रोज के पाओ । ताजा ताजा फल ल खाओ , शरीर ल मजबूत बनाओ । नियम संयम के पालन करो , योग करो भई योग करो ।। जेहा करथे रोज के योग , वोला नइ होवय कुछु रोग , उमर ओकर बढ़ जाथे , हंसी खुशी से दिन बिताथे । रोज हाँस के जीये करो । योग करो भई योग करो ।। रात दिन के चिंता छोड़ , योग से अपन नाता जोड़ । नशा पानी ल तैंहा छोड़ , बात मान ले तैंहा मोर । लइका सियान सब लोग करो , योग करो भई योग करो ।। योग करो भई योग करो सुबे शाम सब योग करो ................. महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कबीरधाम ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati Pandaria @

चोका

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चोका / हाइकु (1) *पेड़ लगाओ* पेड़ लगाओ हरा भरा बनाओ खुशी मनाओ ताजा फल को खाओ । शुद्धता लाओ प्रदुषण भगाओ । स्वस्थ जीवन पेड़ों से होती वर्षा जीवनाधार संतुलित आहार । ताजगी पाओ वृक्ष सभी लगाओ खुशी के गीत गाओ । (2) *फूल* खिलते फूल कलियाँ मुस्कुराये उड़ते धूल प्रदुषण फैलाये । तितली आई सब गुनगुनाये महके फूल बागों में होते शोर वन मा नाचे मोर । (3) *बसंत* आया बसंत खिलते तन मन खुशी अनंत जिसका नहीं अंत । कोयल गाये मन खुशी समाये पत्ते खड़के मन मेरा धड़के । आया संदेश मौसम भी सुहाना प्यारा लगे गाना । (4) *पक्षी* पक्षी चहके मुंडेर पर आये दाना चुगते गीत गुनगुनाये । बच्चों को भाये दिन भर फुदके आकाश चूमें उड़ना भी सीखाये नहीं थकते हरदम उड़ते तिनका लाती घोसला भी बनाती मेहनत करती । (5) *नेता* देश का नेता खादी है पहचान पहने टोपी काम का पैसा लेता । सेवा करते जेब पूरा भरते दाँत दिखाते आगे पीछे घुमाते । देश को लूटे करते वादा झूठे करम फूटे लोगों को तरसाते कभी नहीं बनाते । (6) *मजदूर* रोटी खातिर मेहनत करते सुबह जाते दिन ढले ही आते । माथ पसीना

पिता

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पिता (हाइकु विधा ) पिता महान दुख दर्द सहते सारा जहान । दबे हैं  बोझ जिम्मेदारी निभाते सुख की खोज । बच्चे सीखते ऊँगली पकड़ के पिता सीखाते । करें नमन अपने पिताजी का हर्षित मन । सबसे बड़ा है घर का मुखिया जिम्मेदारियाँ । *महेन्द्र देवांगन* *माटी* *पंडरिया कबीरधाम* छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendradewanganmati@gmail.com

पेड़ लगाव

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पेड़ लगाव सबझन पेड़ लगाव जी, मीठा फल ला पाव जी । जतन करव तुम रोज के, पानी डारव खोज के ।। मिलही सब ला छाँव जी, सुंदर दिखही गाँव जी । जरय नहीं तब पाँव जी, होही तुहँरे नाँव जी ।। कौंवा करही काँव जी, चिरई चिरगुन चाँव जी । पहुना आही गाँव जी, सुरताही वो छाँव जी ।। शुद्ध हवा ला पाव जी, अब्बड़ पेड़ लगाव जी । ताजा फल ला खाव जी, पहिली पेड़ लगाव जी ।। महेन्द्र देवांगन माटी      पंडरिया छत्तीसगढ़ @Mahendra Dewangan Mati

कीरा मकोड़ा

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कीरा मकोड़ा *********** संझा के बेरा मा , कीरा मकोड़ा आथे । दीया हा बरत रहिथे, उही मा आके झपाथे । रंग रंग के कीरा मकोड़ा , अब्बड़ उड़ाथे । एको ठन ला रमंज देबे , बिक्कट बस्साथे । खाय पीये के बेरा मा , तीरे तीर मा आथे । कतको तोपे रहिबे तभो , भात मा गिर जाथे । हाथ गोड़ मा रेंगत रहिथे, चुट चुट चाबथे । एको ठन खुसर जथे , अब्बड़ गुदगुदासी लागथे । तोप ढाँक के रखव सँगी , कीरा मकोड़ा झन परे। खाय पीये के चीज मा , कीरा हा मत मरे । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कबीरधाम ) छत्तीसगढ़ @Mahendra Dewangan Mati