वंदना
"वंदना" (दोहा)
करूं वंदना नित्य ही, हे गणनायक राज।
संकट सबके टाल दो, सिद्ध होय सब काज।।
काम मिले हर हाथ को, नहीं पलायन होय।
भूखा कोई मत रहे, बच्चे कहीं न रोय।।
कोरोना संकट हटे, बीमारी हो दूर।
स्वस्थ रहे सब आदमी, नहीं रहे मजबूर ।।
भेदभाव को छोड़ कर, रहे सभी अब साथ।
नवयुग का निर्माण हों, हाथों में दें हाथ ।।
करुं आरती रोज ही, आकर तेरे द्वार ।
करो कृपा गणराज जी, वंदन बारंबार ।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
बहुत सुंदर। जय श्री गणेशजी।
ReplyDelete