कोरोना के डर


कोरोना के डर

गली खोर हा सुन्ना परगे, घर में सबो धँधाये हे।
गोल्लर कस घूमे जे टूरा , खूँटा आज बँधाये हे।।

जावत हे जे एती ओती, अब्बड़ डंडा खावत हे।
सुसके सुसके घर में आवत, कोनों ल नइ बतावत हे।।

कोरोना के खेल ल देखव, कइसे नाच नचावत हे।
मचगे हाहाकार ग संगी, रोजे इही बतावत हे।।

खुसरे खुसरे नोनी बाबू, विडियो अबड़ बनावत हे।
गर्रा टोंटा हाबे तब ले, सुर ला अबड़ लमावत हे।।

नाती नतरा खेलत हावय, डोकरी ह खेलावत हे।
किसम किसम के बात बता के, डोकरा ह झेलावत हे।।

निकलो झन अब कोनों घर ले, सब ला इही बतावत हे।
कोरोना ह भागही भैया , जनता ला समझावत हे।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़

Comments

Popular posts from this blog

तेरी अदाएँ

अगहन बिरसपति

वेलेंटटाइन डे के चक्कर