Posts

वंदना

Image
  "वंदना"  (दोहा) करूं वंदना नित्य ही, हे गणनायक राज। संकट सबके टाल दो, सिद्ध होय सब काज।। काम मिले हर हाथ को, नहीं पलायन होय। भूखा कोई मत रहे, बच्चे कहीं न रोय।। कोरोना संकट हटे, बीमारी हो दूर। स्वस्थ रहे सब आदमी,  नहीं रहे मजबूर ।। भेदभाव को छोड़ कर,  रहे सभी अब साथ। नवयुग का निर्माण हों, हाथों में दें हाथ ।। करुं आरती रोज ही, आकर तेरे द्वार । करो कृपा गणराज जी,  वंदन बारंबार ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन "माटी" (प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू") पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़

गोबर बिने बर जाबो

Image
  "गोबर बिने बर जाबो" (सार छंद) चलो बिने बर जाबो गोबर, झँउहा झँउहा लाबो। बेचबोन हम वोला संगी, अब्बड़ पइसा पाबो।। सुत उठ के बड़े बिहनिया ले, बरदी डाहर जाबो। पाछू पाछू जाबो तब तो , गोबर ला हम पाबो ।। गली गली में घूम घूम के,  गोबर रोज उठाबो । बेचबोन हम वोला संगी, अब्बड़ पइसा पाबो।। दू रुपिया के भाव बेचबो , कारड मा लिखवाबो। कुंटल कुंटल बेच बेच के, हफ्ता पइसा पाबो ।। छोड़ सबो अब काम धाम ला, गोबर के गुण गाबो। बेचबोन हम वोला संगी, अब्बड़ पइसा पाबो।। सेवा करबो गौ माता के,  तब तो गोबर देही। सुक्खा कांच्चा सब गोबर ला, शासन हा अब लेही।। रचनाकार - महेन्द्र देवांगन "माटी"  (प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू") पंडरिया कबीरधाम  छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati

उगता सूरज ढलता सूरज

Image
  "उगता सूरज ढलता सूरज"  ( सार छंद)  उगता सूरज बोल रहा है,  जागो मेरे प्यारे । आलस छोड़ो आँखे खोलो, दुनिया कितने न्यारे ।। कार्य करो तुम नेक हमेशा, कभी नहीं दुख देना। सबको अपना ही मानो अब, रिश्वत कभी न लेना।। ढलता सूरज का संदेशा, जानो मेरे भाई। करता है जो काम गलत तो,  शामत उसकी आई।। कड़ी मेहनत दिनभर करके, बिस्तर पर अब जाओ। होगा नया सवेरा फिर से,  गीत खुशी के गाओ ।। उगता सूरज ढलता सूरज,  बतलाती है नानी ।। ऊँच नीच जीवन में आता, सबकी यही कहानी ।। रचनाकार -  महेन्द्र देवांगन "माटी" (प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू") पंडरिया  छत्तीसगढ़ 

औघड़ दानी

Image
  "औघड़ दानी" ************ भोले बाबा औघड़ दानी, जटा विराजे गंगा रानी । नाग गले में डाले घूमे , मस्ती से वह दिनभर झूमे।। कानों में हैं बिच्छी बाला, हाथ गले में पहने माला । भूत प्रेत सँग नाचे गाये, नेत्र बंद कर धुनी रमाये।। द्वार तुम्हारे जो भी आते, खाली हाथ न वापस जाते। माँगो जो भी वर वह देते, नहीं किसी से कुछ भी लेते।। महेन्द्र देवांगन "माटी" प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया  छत्तीसगढ़

बंधन

 बंधन (ताटंक छंद) **************** जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे। कुछ भी संकट आये हम पर , कभी नहीं घबरायेंगे।। गठबंधन है सात जनम का, ये ना खेल तमाशा है । सुख दुख दोनों साथ निभाये, अपने मन की आशा है।। प्रेम प्यार के इस बंधन को, भूल नहीं अब पायेंगे। जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।। महेन्द्र देवांगन "माटी" प्रेषक - (पुत्री - प्रिया देवांगन "प्रियू") पंडरिया  जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Priya Dewangan Priyu

नदियाँ

Image
  नदियाँ (सार छंद) *************** कलकल करती नदियाँ बहती  , झरझर करते झरने । मिल जाती हैं सागर तट में  , लिये लक्ष्य को अपने ।। सबकी प्यास बुझाती नदियाँ  , मीठे पानी देती । सेवा करती प्रेम भाव से  , कभी नहीं कुछ लेती ।। खेतों में वह पानी देती  , फसलें खूब उगाते । उगती है भरपूर फसल तब , हर्षित सब हो जाते ।। स्वच्छ रखो सब नदियाँ जल को , जीवन हमको देती । विश्व टिका है इसके दम पर , करते हैं सब खेती ।। गंगा यमुना सरस्वती की  , निर्मल है यह धारा । भारत माँ की चरणें धोती , यह पहचान हमारा ।। विश्व गगन में अपना झंडा , हरदम हैं लहराते । माटी की सौंधी खुशबू को , सारे जग फैलाते ।। शत शत वंदन इस माटी को , इस पर ही बलि जाऊँ । पावन इसके रज कण को मैं  , माथे तिलक लगाऊँ ।। रचना:- महेन्द्र देवांगन *माटी*  प्रेषक -(सुपुत्री प्रिया देवांगन *प्रियू*) पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़

रक्षाबंधन

Image
रक्षाबंधन ( सरसी छंद) आया रक्षा बंधन भैया, लेकर सबका प्यार ।  है अटूट नाता बहनों से   दे अनुपम  उपहार ।। राखी बाँधे बहना प्यारी, रेशम की है डोर। खड़ी आरती थाल लिये अब, होते ही वह भोर।। सबसे प्यारा मेरा भैया, सच्चे पहरेदार। है अटूट नाता बहनों से, दे अनुपम उपहार ।। हँसी ठिठोली करते दिनभर, माँ का राज दुलार । रखते हैं हम ख्याल सभी का, अपना यह परिवार ।। राखी के इस शुभ अवसर पर,  सजे हुए हैं द्वार । है अटूट नाता बहनों से,  दे अनुपम उपहार ।। तिलक लगाती है माथे पर, देकर के मुस्कान । वचन निभाते भैया भी तो, देकर अपने प्राण ।। आँच न आने दूँगा अब तो, है मेरा इकरार। है अटूट नाता बहनों से,  दे अनुपम उपहार ।। रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया छत्तीसगढ़  mahendradewanganmati@gmail.com