बंधन

 बंधन (ताटंक छंद)

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जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।

कुछ भी संकट आये हम पर , कभी नहीं घबरायेंगे।।


गठबंधन है सात जनम का, ये ना खेल तमाशा है ।

सुख दुख दोनों साथ निभाये, अपने मन की आशा है।।


प्रेम प्यार के इस बंधन को, भूल नहीं अब पायेंगे।

जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।।


महेन्द्र देवांगन "माटी"

प्रेषक - (पुत्री - प्रिया देवांगन "प्रियू")

पंडरिया 

जिला - कबीरधाम

छत्तीसगढ़

Priya Dewangan Priyu



Comments

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 14 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. शुभकामनाएं हिन्दी दिवस की।

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  3. बहुत ही उत्तम

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