Posts

आया नया जमाना

Image
आया नया जमाना सोते उठते दिन भर देखो , बच्चे गाये गाना । यू ट्यूब और टीक टाक का , आया नया जमाना ।। रहे मस्त मोबाइल में सब , पढ़ना लिखना भूले । इयर फोन को कान लगाकर , हौले हौले झूले ।। वाटसाप में बातें करते  , पिकनिक में हैं जाना । यू ट्यूब और टीक टाक का , आया नया जमाना ।। सर्च करे गूगल में जाकर , कौन कहाँ हैं रहते । खोज निकाले सभी चीज को , नहीं किसी से डरते ।। छूट रहे सब रिश्ते नाते  , नानी के घर जाना । यू टयूब और टीक टाक का , आया नया जमाना ।। गेम खेलते मोबाइल से  , मैदानों को छोड़े । तरह तरह के गेम खेलकर  , माथा अपना फोड़े ।। बात न माने बच्चे अब तो , करे बहुत मनमाना । यू ट्यूब और टीक टाक का , आया नया जमाना ।। छोटे छोटे बच्चे देखो , मोबाइल के आदी । पड़े प्रभाव नसों पर प्यारे  , होते हैं बरबादी ।। दूर रखो बच्चों को इससे  , पीढ़ी नई बचाना । यू ट्यूब और टीक टाक का , आया नया जमाना ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी  (शिक्षक) पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati

प्यासी मोहब्बत

Image
प्यासी मोहब्बत  दिल का हाल समझ ना पाये , मैं तो निर्बल दासी हूँ । नदी किनारे रहकर भी मैं  , देखो कितनी प्यासी हूँ  ।। जिसे समझ कर अपना माना , साथ वही तो छोड़ गए । कसमें खाई रहने की जो , मुँह वो अपना मोड़ गए ।। पड़े अकेले ताँक रही हूँ  , अब केवल वनवासी हूँ । नदी किनारे रहकर भी मैं  , देखो कितनी प्यासी हूँ ।। सूखी लकड़ी जैसी काया , कुछ ना अब तो भाता है । किसे बताऊँ हाल चाल अब , केवल रोना आता है ।। भूल गई सब सुध बुध अपना  , अब केवल आभासी हूँ । नदी किनारे रहकर भी मैं  , देखो कितनी प्यासी हूँ ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati

तेरी अदाएँ

Image
तेरी अदाएँ काली काली जुल्फों को क्यूँ  , नागिन सी लहराती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो । । लाल गुलाबी होंठ शराबी , देख नशा चढ जाता है । फूलों सी खुशबू को पाकर,  भौरा गाने गाता है ।। कली गुलाब सी कोमल काया , धूप लगे मुरझाती हो । चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। पाँवो की पायल से तेरी, धुन  संगीत  निकलता है । सुन आवाजें ताल मारकर , आशिक रोज थिरकता है ।। कोयल जैसी कंठ तुम्हारे  , गीत मधुर तुम गाती हो । चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। माथे की बिन्दी यूँ चमके , जैसे चाँद सितारे हों । दाँत तुम्हारे चमके ऐसे  , ज्यों मोती की हारें हों ।। भर भर कंगन पहन हाथ में  ,चूड़ी क्यों खनकाती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ  , क्यों हरदम इठलाती हो ।। परियों की रानी लगती हो , सबका मन हर लेती है । नैनों से तुम बाण चलाकर , घायल सब कर देती है ।। घोर घटा छा जाती है जब , जुल्फों को लहराती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ  , क्यों हरदम इठलाती हो ।। चंचल चितवन मस्त अदाएँ  ,  क्या जादू कर जाती हो । देख तुझे सब आहें भरते , दिल को क्यों तड़पाती हो ।। चाँद निकल

सुरता

लइकापन के सुरता लइकापन के आथे  सुरता । पहिरे राहन चिरहा कुरता ।। गुल्ली डंडा अब्बड़ खेलन । भौंरा बाँटी सबझन लेवन ।। रेस टीप अउ छू छूवउला । घर घुँदिया अउ चुरी पकउला ।।  खो खो फुगड़ी खेल कबड्डी । लड़ई झगरा मिट्ठी खड्डी ।। आमा अमली तेंदू खावन । सरी मँझनिया घुमेल जावन ।। बइला गाड़ी दँउरी फाँदन । उलान बाँटी अब्बड़ खावन ।। संझा बेरा सब सकलावन । मिल के सबझन गाना गावन ।। कथा कहानी बबा सुनाये । किसम किसम के बात बताये ।। अब तो संगी सबो नँदागे ।  मोबाइल मा सबो फँदागे ।। खुसरे हावय घर के कुरिया । बइठे सबझन धुरिहा धुरिहा ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

बिदाई

Image
बिदाई (सरसी छंद) जावत हावय आज छोड़ के , बेटी हा ससुरार । रोवत हावय दाई ददा ह , करके मया दुलार ।। सुन्ना परगे घर कुरिया हा , कइसे रात पहाय । सुरता करके दाई रोवय , कइसे भात खवाय ।। तोर बिना मँय कइसे राँहव ,होगे जग अँधियार । रोवत हावय दाई ददा ह , करके मया दुलार ।। मोर दुलौरिन बेटी सुघ्घर , रखबे तैंहर लाज । सेवा करबे सबझन के तैं , रखबे घर ला साज ।। काम बुता मा हाथ बँटाबे , सुखी रहय परिवार । रोवत हावय दाई ददा ह , करके मया दुलार ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati

लालू अऊ कालू

Image
लालू अऊ कालू (कहानी) लाल कुकुर ह बर पेड़ के छांव में बइठे राहे।ओतके बेरा एक ठन करिया कुकुर ह लुडुंग - लाडंग पुछी ल हलावत आवत रिहिस। ओला देख के लाल कुकुर ह आवाज दिस। ऐ कालू कहां जाथस ? आ थोकिन बइठ ले ताहन जाबे। ओकर आवाज ल सुन के कालू ह तीर में आइस अऊ कहिथे --- काये यार लालू काबर बलाथस। लालू ह कहिथे ----- आ थोकिन बइठ ले कहिथों यार। कहां लकर - धकर जात हस। कोनो पारटी - वारटी हे का ? कालू ह कहिथे  ---- कहां के पारटी - वारटी यार आजकाल कोनो पूछत नइहे। जिंहा जाबे तिंहा साले मन धुरिया ले भगा देथे। ते बता तोर का हाल - चाल हे। तेहा तो बने चिक्कन - चिक्कन दिखत हस। लालू कहिथे ---- मेंहा तो बने हँव , फेर तोला देखथों दिनो दिन कइसे सुखावत जात हस। बने खात - पियत नइ हस का यार। का चिंता धर लेहे तोला। फोकट में चांउर दार मिलत तभो ले संसो करत हस। डपट के खा अऊ गोल्लर बरोबर घूम साले ल। त कालू कहिथे ----- अरे यार कहां ले फोकट के चांउर दार  मिलत हे। मोर तो साले ल राशन कारड नइ बने हे। लालू कहिथे ---- त राशन कारड काबर नइ बनवाय हस रे लेडगा। कालू ------ अरे यार मेंहा सरपंच अऊ सचिव के कई घंऊ चक्कर लगा ड

आमा खाव मजा पाव

Image
आमा खाव मजा पाव ******* गरमी के मौसम आते साठ सब झन ला आमा के सुरता आथे।लइका मन ह सरी मंझनिया आमा टोरे ला जाथे , अऊ घर में आ के नून - मिरचा संग खाथे।लइका मन ला आमा चोरा के खाय बर बहुत मजा आथे।मंझनिया होथे तहान आमा बगीचा  मा आमा चोराय ला जाथे। आमा एक प्रकार के रसीला फल होथे।ऐला भारत में फल के राजा बोले जाथे।आमा ला अंग्रेजी में मैंगो कहिथे एकर वैज्ञानिक नाम - मेंगीफेरा हे। आमा के किसम ---- आमा भी कई किसम के होथे अउ सबके सुवाद अलग अलग होथे। जइसे - तोतापरी आमा , सुंदरी आमा , लंगडा आमा , राजापुरी आमा , पैरी अउ बंबइया आमा । फल के राजा  --- आमा ला फल के राजा कहे जाथे । आमा ला फल के राजा  काबर कहिथे जबकि सबो फल हा स्वास्थ्य वर्धक होथे । दरअसल ,भारतीय आमा अपन स्वाद के लिए पूरा दूनिया में मशहूर हे।भारत में मुख्य रूप से 12 किसम के आमा होथे । आमा के उपयोग  ----- आमा के उपयोग   सिरिफ फल के तौर में नही बल्कि  सब्जी , चटनी , पना , जूस , कैंडी , अचार , खटाई, शेक , अमावट (आमा पापड़) अऊ बहुत से खाये - पीये के चीज के सुवाद बढाये बर करे जाथे। आमा के फायदा ------ आमा के बहुत से फायदा भी हे