सुरता


लइकापन के सुरता

लइकापन के आथे  सुरता । पहिरे राहन चिरहा कुरता ।।
गुल्ली डंडा अब्बड़ खेलन । भौंरा बाँटी सबझन लेवन ।।

रेस टीप अउ छू छूवउला । घर घुँदिया अउ चुरी पकउला ।।
 खो खो फुगड़ी खेल कबड्डी । लड़ई झगरा मिट्ठी खड्डी ।।

आमा अमली तेंदू खावन । सरी मँझनिया घुमेल जावन ।।
बइला गाड़ी दँउरी फाँदन । उलान बाँटी अब्बड़ खावन ।।

संझा बेरा सब सकलावन । मिल के सबझन गाना गावन ।।
कथा कहानी बबा सुनाये । किसम किसम के बात बताये ।।

अब तो संगी सबो नँदागे ।  मोबाइल मा सबो फँदागे ।।
खुसरे हावय घर के कुरिया । बइठे सबझन धुरिहा धुरिहा ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़

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