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अक्षय तृतीया के तिहार

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अक्षय तृतीया ( अकती ) के तिहार हिन्दू धर्म में बहुत अकन तिहार मनाये जाथे । ये तिहार हा मनखे मे नवा जोश अउ उमंग पैदा करथे । आदमी तो रोज काम बुता करत रहिथे फेर काम ह कभू नइ सिराय । येकर सेती हमर पूर्वज मन ह कुछ विशेष तिथि ल तिहार के रुप में मनाय के संदेश दे हे । वइसने एक तिहार अक्छय तृतीया के भी मनाय जाथे । छत्तीसगढ़ में अकती या अक्छय तृतीया तिहार के बहुत महत्व हे । ये दिन ल बहुत ही शुभ दिन माने गेहे। ये दिन कोई भी काम करबे ओकर बहुत जादा लाभ या पुण्य मिलथे। अइसे वेद पुरान में बताय गेहे। कब मनाथे ---- अकती के तिहार ल बैसाख महीना के अंजोरी पाख के तीसरा दिन मनाय जाथे। एला अक्छय तृतीया या अक्खा तीज कहे जाथे। अक्छय के मतलब ही होथे जेकर कभू नाश नइ होये । माने जो भी शुभ  काम करबे ओकर कभू क्षय नइ होये। एकरे सेती एला अक्छय तृतीया कहे जाथे। अक्छय तृतीया के महत्व  ----- अक्छय तृतीया ल स्वयं सिद्ध मुहूर्त माने गे हे । ये दिन कोनों भी काम करे बर मुहूर्त देखे के जरुरत नइ परे । जइसे  -- बिहाव करना , नवा घर में पूजा पाठ करके प्रवेश करना , जमीन जायदाद खरीदना , सोना चाँदी गहना खरीदना  । ये स

हे दुर्गा माता

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आये हावँव तोर शरण मा , हे दुर्गा माता । मँय बालक हँव तोरे मइया , हे अटूट नाता ।। सबके दुख ला हरथस मइया , मोरो ला हर दे । झोली खाली हावय माता  , येला तैं भर दे ।। नइ जानव मँय पूजा तोरे , राग द्वेष हर दे । प्रेम करँव मँय सबले मइया , निर्मल मन कर दे ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया कबीरधाम छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati छत्तीसगढ़ी रचना विष्णु पद छंद मात्रा  -- 16 +10 = 26 पदांत -- गुरु (2)

का ले के आये

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का लेके तै आये संगी , का ले के जाबे । सरग नरक के सुख दुख ला तैं , सबो इँहे पाबे ।। करत हवस तैं हाय हाय जी , ये सब हे माया । नइ आवय कुछु काम तोर गा , छूट जही काया ।। का राखे हे तन मा संगी , जीव उड़ा जाही । देखत रइही रिश्ता नाता , पार कहाँ पाही ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया कबीरधाम छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati विष्णु पद छंद मात्रा  -- 16 + 10 = 26 लक्षण -- डाँड़ (पद) 2  ,   चरण  4 सम - सम चरण मा तुकांत पदांत -- लघु  गुरु या गुरु गुरु

चौपई छंद

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राम नाम के महिमा ( चौपई छंद) राम नाम के महिमा सार । बाकी हावय सब बेकार ।। भज ले तैंहा येकर नाम । बन जाही सब बिगड़े काम ।। जिनगी के हावय दिन चार । झन कर तैंहा अत्याचार ।। मोह मया ला तैंहर त्याग । खुल जाही जी तोरे भाग ।। ****************** (2) हमर देश ( चौपई छंद) सुनलव संगी सुनव मितान । देश हमर हे अबड़ महान ।। सबझन गाथे येकर गान । सैनिक चलथे सीना तान ।। गंगा यमुना नदियाँ धार । हरियर हरियर खेती खार ।। उपजाथे सब गेहूँ धान । खुश रहिथे गा सबो किसान ।। ************** (3) हनुमान जी (चौपई छंद) जय बजरंग बली हनुमान । सबले जादा तैं बलवान ।। महिमा हावय तोर अपार । कोनों नइ पाइन गा पार ।।  राम लला के तैंहर दूत । तोर नाम ले काँपय भूत ।। लेथे जेहा तोरे नाम । तुरते होथे ओकर काम।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

मैगी

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जब ले आहे मैगी संगी , कुछु नइ सुहावत हे। भात बासी ला छोड़ के , मैगी ला सब खावत हे।। दू मिनट की मैगी कहिके , उही ला बनावत हे। माई पिल्ला सबो झन , मिल बाँट के खावत हे।। सब लइका ला प्यारा हावय ,  एकरे गुन ल गावत हे । स्कूल हो चाहे पिकनिक हो , मैगी धर के जावत हे।। लइका हो चाहे सियान,  सबला मैगी सुहावत हे । कोनो कोती जावत हे ,  पहिली मैगी बनावत हे।। कोनो आलू प्याज डार के, त कोनो सुक्खा बनावत हे। कोनो सूप बनावत त ,  कोनो सादा खावत हे।। फरा मुठिया के नइ हे जमाना , मैगी के  जमाना हे। दू मिनट की मैगी बनाके  ,  माइ पिल्ला ल खाना हे।। प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया जिला - कबीरधाम  (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com

प्यारा तोता

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प्यारा तोता (बाल गीत) तोता मेरा है अलबेला , दिन भर गाने गाता है । बड़े मजे से बच्चों के सँग , ए बी सी दुहराता है ।। कभी बैठता कंधे पर तो , कभी शीश चढ़ जाता है । बच्चों को वह देख देखकर,  आँखों को मटकाता है ।। लाल मिर्च है उसको प्यारा , देख दौड़ कर आता है । आम पपीता सेव जाम को , बड़े चाव से खाता है ।। घूमे दिन भर घर आँगन में  , बहुते शोर मचाता है । सुंदर प्यारा मेरा तोता ,  सबका मन बहलाता है ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 (ताटंक छंद)

गरमी ले बचव

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गरमी ले बचव गरमी के मौसम में बहुत गरम - गरम हवा चलत रहिथे । घर ले निकले के मन नइ करय । सूरज देव ह आकाश ले आगी बरसात रहिथे । धरती ह लकलक ले तीप जथे अउ अबड़ भोंभरा जरे ल धर लेथे । जादा घाम में निकले ले कई प्रकार के बीमारी घलो हो जथे । जइसे  --- आदमी ल चक्कर आ जाथे । फोड़ा फुंसी हो जाथे । पेट में पीरा होथे । अनपचक हो जाथे । उल्टी दस्त हो जाथे अउ बुखार भी हो जाथे । आदमी ल झोला (लू ) घलो लग जाथे । एकर सेती गरमी के मौसम में बहुत सावधानी बरतना चाहिए अउ गरमी ले बच के रहना चाहिए । मनखे ल कुछु न कुछु काम से बाहिर निकले ल पर जथे । त घाम ले बचे बर कुछ उपाय कर लेना चाहिए । झोला ( लू ) ले बचे के उपाय ------- (1) गरमी के मौसम में घाम ले बचे बर मुड़ में साफी बाँध लेना चाहिए या छाता धर के जाना चाहिए । (2) पानी के उपयोग जादा करना चाहिए । हमेशा पानी पी के बाहिर निकलना चाहिए । (3) खाली पेट नइ निकलना चाहिए । कुछ न कुछ खा पी के निकलना चाहिए । (4) नींबू पानी के उपयोग जादा करना चाहिए । (5) गोंदली ( प्याज ) ल जेब में धर के जाना चाहिए । (6) सूती कपड़ा के जादा उपयोग करना चाहिए । (7) जादा मिरची म