का ले के आये
का लेके तै आये संगी , का ले के जाबे । सरग नरक के सुख दुख ला तैं , सबो इँहे पाबे ।। करत हवस तैं हाय हाय जी , ये सब हे माया । नइ आवय कुछु काम तोर गा , छूट जही काया ।। का राखे हे तन मा संगी , जीव उड़ा जाही । देखत रइही रिश्ता नाता , पार कहाँ पाही ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया कबीरधाम छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati विष्णु पद छंद मात्रा -- 16 + 10 = 26 लक्षण -- डाँड़ (पद) 2 , चरण 4 सम - सम चरण मा तुकांत पदांत -- लघु गुरु या गुरु गुरु