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बाबा साहब

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बाबा साहब कठिन डगर पर चलकर जिसने , सबको राह दिखाया है । मानवता की खातिर उसने  , सब अधिकार दिलाया है ।। खून सभी का एक है बंधु , भेदभाव क्यों करते हो । ऊँचा नीचा जाति बताकर , आपस में क्यों लड़ते हो ।। भीमराव ने भीम प्रतिज्ञा  , पूरा कर दिखलाया है । ऊँच नीच का भेद मिटाकर , सबको आगे लाया है ।। संविधान है एक हमारा , एक हमारी माता है । भारत माता सबकी माता,  सबसे अपना नाता है ।। कठिन परिश्रम करके उसने,  ये संविधान बनाया है । जग में हुए महान वही तो , बाबा साहब कहाया है ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

नदियाँ

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नदियाँ ( सार छंद) कलकल करती नदियाँ बहती  , झरझर करते झरने । मिल जाती हैं सागर तट में  , लिये लक्ष्य को अपने ।। सबकी प्यास बुझाती नदियाँ  , मीठे पानी देती । सेवा करती प्रेम भाव से  , कभी नहीं कुछ लेती ।। खेतों में वह पानी देती  , फसलें खूब उगाते । उगती है भरपूर फसल तब , हर्षित सब हो जाते ।। स्वच्छ रखो सब नदियाँ जल को , जीवन हमको देती । विश्व टिका है इसके दम पर , करते हैं सब खेती ।। गंगा यमुना सरस्वती की  , निर्मल है यह धारा । भारत माँ की चरणें धोती , यह पहचान हमारा ।। विश्व गगन में अपना झंडा , हरदम हैं लहराते । माटी की सौंधी खुशबू को , सारे जग फैलाते ।। शत शत वंदन इस माटी को , इस पर ही बलि जाऊँ । पावन इसके रज कण को मैं  , माथे तिलक लगाऊँ ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com

मतदान

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सुन लव संगी सुनव मितान । करलव सब झन गा मतदान ।। लोकतंत्र के इही अधार । तब होही जी नइया पार ।। नेता मन सब आही द्वार । माथ नवाही बारंबार ।। लालच दे के चलही चाल । फँसहू झन गा ओकर जाल ।। दारू मुरगा बाँटय नोट । जेकर मन मा हावय खोट ।। धोखा देके करथे चोट । देहू झन गा वोला वोट ।। परिचय पत्र ल धर के जाव । कोनों ला गा झन डर्राव।। छाप देख के बटन दबाव ।  वोट अपन गा देके आव ।। एक वोट के कीमत जान । कहना ला अब तैंहर मान ।। एक वोट ले होथे हार । काम बुता मा जावव डार ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30  अंत -- लघु गुरु

पढ़व लिखव

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सुन लव संगी सुनव मितान । पढ़ लिख के गा बनव महान ।। पढ़बे लिखबे मिलही ज्ञान । होही तब  तुँहरे कल्यान ।। बस्ता धर के पढ़ेल जाव । पढ़ लिख के सब नाम कमाव । अव्वल नंबर सबझन आव । पुरखा के सब नाम जगाव ।। कहिनी किस्सा सुनहू रोज । बन वैज्ञानिक करहू खोज ।। भागव झन जी जावव सोज । विद्यालय मा करहू भोज ।। खाये बर गा मिलथे भात । मारव झन तुम येला लात ।। माटी के जी  मानव बात । झनकर बेटा तैंहर घात ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30 पदांत -- गुरु लघु

माता ला परघाबो

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आवत हावय दुर्गा दाई,  चलव आज परघाबो । नाचत गावत झूमत संगी , आसन मा बइठाबो ।। लकलक लकलक रूप दिखत हे , बघवा चढ़ के आये । लाली चुनरी ओढे मइया , मुचुर मुचुर मुस्काये ।। ढोल नँगाड़ा ताशा माँदर , सबझन आज बजाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।। नव दिन बर आये हे माता  , सेवा गजब बजाबो । खुश होही माता हमरो बर , अशीष ओकर पाबो ।। नव दिन मा नव रुप देखाही , श्रद्धा सुमन चढाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।। सुघ्घर चँऊक पुराके संगी , तोरन द्वार सजाबो। ध्वजा नरियर पान सुपारी  , वोला भेंट चढ़ाबो ।। गलती झन होवय काँही अब , मिलके सबो मनाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।।  रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 सार छंद मात्रा  -- 16 + 12 = 28 पदांत -- दो गुरु

मोर ( मयूर)

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घोर घटा जब नभ में छाये , अंधकार छा जाता है । बादल गरजे बिजली कड़के , मोर नाचने आता है ।। जंगल में यह दृश्य देखकर  , मन मयूर खिल जाता है । खुश हो जाते जीव जंतु सब  , भौरा गाने गाता है । पंखो को फैलाये ऐसे , जैसे चाँद सितारे हों । आसमान पर फैले जैसे  , टिम टिम करते तारें हों ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati 8602407353 ताटंक छंद नियम  -- मात्रा  -- 16 + 14 = 30 पदांत -- तीन  गुरु अनिवार्य

जागो

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जाग सबेरे चिड़ियाँ चहके , कोयल गाना गाये । कमल ताल में खिले हुए हैं  , सबके मन को भाये ।। रंभाती हैं गैया देखो  , बछड़ा भी  रंभाये । दाना पानी लेकर अब तो , मोहन भैया आये ।। उठ जाओ अब सोकर प्यारे  , मुर्गा बाँग लगाये । आलस छोड़ो बिस्तर त्यागो , सबको आज जगाये ।। माटी पुत्र चले खेतों में  , हल को लेकर जाये । इस माटी का कण कण पावन,  माथे तिलक लगायें ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 12/04/19 Mahendra Dewangan Mati सार छंद मात्रा  -- 16 + 12 = 28 पदांत -- एक गुरु या दो लघु दो गुरु आने से लय अच्छा बनता है ।