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Showing posts with the label छत्तीसगढ़ी रचना

लिखात नइहे

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लिखात नइहे लिखे बर बइठे हंव , फेर लिखात नइहे । गुनत हांवव मने मन , फेर गुनात नइहे । एको ठन कविता ला , महूं बना लेतेंव । फेसबुक अऊ वाटसप में, तुरते भेज देतेंव । सोचत हांवव मने मन , फेर सोंचात नइहे । लिखे बर बइठे हंव,  फेर लिखात नइहे  । कोन विषय में लिखंव , एला मय खोजत हंव । हास्य लिखव के सिंगार , एला मय सोचत हंव । धरहूं कहिथों पेन ला , फेर धरात नइहे । लिखे बर बइठे हंव,  फेर लिखात नइहे । महेन्द्र देवांगन "माटी"     पंडरिया 8602407353 11/03/18

कलिन्दर

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कलिन्दर ************ वाह रे कलिन्दर , लाल लाल दिखथे अंदर । बखरी मा फरे रहिथे  , खाथे अब्बड़ बंदर । गरमी के दिन में,  सबला बने सुहाथे । नानचुक खाबे ताहन, खानेच खान भाथे । बड़े बड़े कलिन्दर हा , बेचाये बर आथे । छोटे बड़े सबो मनखे,  बिसा के ले जाथे । लोग लइका सबो कोई, अब्बड़ मजा पाथे । रसा रहिथे भारी जी, मुँहू कान भर चुचवाथे । खाय के फायदा ला , डाक्टर तक बताथे । अब्बड़ बिटामिन  मिलथे,  बिमारी हा भगाथे । जादा कहूँ खाबे त  , पेट हा तन जाथे । एक बार के जवइया ह, दू बार एक्की जाथे । महेन्द्र देवांगन माटी Mahendra Dewangan Mati 10/03/18

माटी के दोहे -- 2

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रोज रोज मारत हवय, गोली पाकिस्तान । समझौता ला टोरथे ,  लबरा ओला जान ।।1।। करजा लेके भाग गे , बड़े बड़े धनवान । देखत रहिगे देश हा,  होगे मरे बिहान ।।2।। करजा मा बूड़े हवय,  छोटे बड़े किसान । कइसे छूटन सोंच के,  देवत अपन परान ।।3।। बोलव भाखा प्रेम के,  सब झन हा मोहाय । बनथे बिगड़े काम हा,  मन मा खुशी समाय ।।4।। करकश बोली बोल के , मत कर तेंहा भेद । टुकड़ा टुकड़ा हो जथे,  दिल मा होथे छेद ।।5।। नशा नाश के जर हरय,  झन कर एकर साद । जाथे पइसा मान सब , कर देथे बरबाद ।।6।। नशा पान जेहा करय,  ओकर नइहे मान । उजड़े घर परिवार सब,  जिनगी बिरथा जान ।।7।। माला पहिरे घेंच मा , धरय साधु के भेस । ठग जग करके लोग ला , पहुँचाये जी ठेस ।।8।। कान्हा खेलय ब्रज मा , राधा डारय रंग । बांही पकड़े खींच के  , लिपटावत हे अंग ।।9।। साफ रखव घर-द्वार ला,रोग तीर नइ आय। दिन सुग्घर परिवार के,हाँसत बीते जाय।।10।। रामायण गीता पढ़व , चाहे पढ़व कुरान । दया धरम सेवा करव, बनबे तब इंसान ।।11।। मिलव जुलव सब प्रेम से,  करलव मीठा बात । करु वचन कँहू बोलबे,  परही जम के लात ।।12।। छत्तीसगढ़ी बोल के  , बढ़ावव एकर मान

मुनु बिलई

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मुनु बिलई ********* मुनु बिलई मुनु बिलई, हमर घर आथे मुनु बिलई, म्याऊ म्याऊ ओकर चिल्लई । लुका छुपी के  खेल खेलई, हमर घर आथे मुनु बिलई । मुसवा देखे पल्ला भगई , बिला भीतरी ओकर लुकई। खिसियाके फेर खंभा नोचई , हमर घर आथे मुनु बिलई । करिया भुरवा सादा बिलई , लइका मन के होथे रोवई । खाथे वोहा दूध मलई, हमर घर आथे मुनु बिलई । छानही छानही ओकर घुमई , कोठी ऊपर होथे लड़ई । मूछा में अपन ताव देवई  , हमर घर आथे मुनु बिलई । कारी भूरी आंखी देखई  , पूछी ला अपन अटियई , देख देख के ओकर गुररई । हमर घर आथे मुनु बिलई । मुनु बिलई मुनु बिलई, हमर घर आथे मुनु बिलई । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया कवर्धा छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati 5/03/2018

मोर छत्तीसगढ़ के किसान

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मोर छत्तीसगढ़ के किसान, जेला कहिथे भुंइया के भगवान । भूख पियास ल सहिके संगी , उपजावत हे धान । बड़े बिहनिया सुत उठ के, नांगर धर के जाथे । रगड़ा टूटत ले काम करके, संझा बेरा घर आथे । खून पसीना एक करथे, तब मिलथे एक मूठा धान । मोर छत्तीसगढ़ के किसान, जेला कहिथे भुंइया के भगवान । छिटका कुरिया घर हाबे, अऊ पहिनथे लंगोटी । आंखी कान खुसर गेहे , चटक गेहे बोडडी । करजा हाबे ऊपर ले , बेचागे हे गहना सुता । साहूकार घर में आ आके , बनावत हे बूता । मार मार के कोड़ा, लेवत हे ओकर जान । मोर छत्तीसगढ़ के किसान, जेला कहिथे भुंइया के भगवान । महेन्द्र देवांगन "माटी "✍ प ंडरिया छत्तीसगढ़ MAHENDRA DEWANGANMATI 🐂🐃🐂🐃🐂🐃🚶🏻👳🏼

बरबाद होगे

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बरबाद होगे *************** बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । सूरा सहीं घोन्डे हाबे 2, कइसन ए अजाद होगे। बरबाद होगे बरबाद होगे भैया .............................. एक पौवा पीथे ताहन, आंखी ल देखाथे । दूसर पौवा चढथे ताहन, शेर सही गुरराथे । रंग रंग के गारी देके, झगरा ल मताथे बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । लोग लइका भूखन मरत, ओकर नइहे चिंता । गली गली में घूमत हाबे, होवत ओकर हिंता । करजा में बूड़े हाबे, भागत हे लुकाके । बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । जेब में रहिथे पइसा ताहन, अब्बड़ मटमटाथे । मुरगा मटन खाथे अऊ , चार झन ल खवाथे । मारत हे पुटानी अऊ , खेत खार बेचागे । बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । एकरे सेती काहत हावों , झन पीयो जी दारु । लोग लइका के चेत करले , सुन ले ग समारु । शरीर ह खोखला होके, बढ जाथे बीमारी । बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के  सब बरबाद होगे । महेन्द्र देवांगन माटी    पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati @ 8602407353

जाड़ ह जनावत हे

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जाड़ ह जनावत हे ************** चिरई-चिरगुन पेड़ में बइठे,भारी चहचहावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे। हसिया धर के सुधा ह,खेत डाहर जावत हे। धान लुवत-लुवत दुलारी,सुघ्घर गाना गावत हे। लू-लू के धान के,करपा ल मढ़ावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे। पैरा डोरी बरत सरवन ,सब झन ल जोहारत हे। गाड़ा -बइला में जोर के सोनू ,भारा ल डोहारत हे धान ल मिंजे खातिर सुनील,मितान ल बलावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।। पानी ल छुबे त ,हाथ ह झिनझिनावत हे। मुहू में डारबे त,दांत ह किनकिनावत हे। अदरक वाला चाहा ह,बने अब सुहावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।। खेरेर-खेरेर लइका खांसत,नाक ह बोहावत हे डाक्टर कर लेग-लेग के,सूजी ल देवावत हे। आनी-बानी के गोली-पानी,अऊ टानिक ल पियावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।। पऊर साल के सेटर ल,पेटी ले निकालत हे बांही ह छोटे होगे,लइका ह रिसावत हे। जुन्ना ल नइ पहिनो कहिके,नावा सेटर लेवावत हे।। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।। रांधत - रांधत बहू ह,आगी ल अब तापत हे लइका ल नउहा हे त ,कुड़कुड़-कुड़कु

राम नाम जपले

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राम नाम जपले ************** राम नाम ल जप ले संगी , इही ह काम आही । ए जिनगी के नइहे ठिकाना, कोन बेरा उड़ जाही । कतको करबे हाय हाय ते, काम तोर नइ आये । सुख के मितवा सबो हरे, दुख में सब भाग जाये । माया मोह में फंसके तैंहा , बिरथा जिनगी गंवाये , देखत रही सगा सोदर, कोनों काम नइ आये । फेसबुक अऊ वाटसप में, हजारों दोस्त बनाये । परे रबे जब खटिया में, कोनों पुछे ल नइ आये । सबले बड़े मायाजाल हरे , फेसबुक अऊ वाटसप । जब तक हाबे नेट पैक जी, मारले तेंहा गप सप । माटी के हरे काया संगी, माटी में मिल जाही । भज ले हरि के नाम जी, इही काम तोर आही ।         रचना महेन्द्र देवांगन "माटी"        पंडरिया

बम बम भोले

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बम बम भोले *************** हर हर बम बम भोलेनाथ के  ,  जयकारा लगावत हे । कांवर धर के कांवरिया मन , जल चढाय बर जावत हे । सावन महिना भोलेनाथ के, सब झन दरसन पावत हे । धुरिहा धुरिहा के सिव भक्त मन , दरस करे बर आवत हे । कोनों रेंगत कोनों गावत , कोनों घिसलत जावत हे । नइ रुके वो कोनों जगा अब , भले छाला पर जावत हे । आनी बानी के फल फूल अऊ , नरियर भेला चढावत हे । दूध दही अऊ चंदन रोली , जल अभिसेक करावत हे । भोलेनाथ के महिमा भारी , सबझन माथ नवावत हे । औघड़ दानी सिव भोला के, सब कोई आसीस पावत हे । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया

बरसा के दिन आवत हे

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बरसा के दिन आवत हे टरर टरर मेचका गाके, बादर ल बलावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे । तरबर तरबर चांटी रेंगत, बीला ल बनावत हे । आनी बानी के कीरा मन , अब्बड़ उड़ियावत हे । बरत हाबे दीया बाती, फांफा मन झपावत हे  । घटा घनघोर छावत,  बरसा के दिन आवत हे । हावा गररा चलत हाबे, धुररा ह उड़ावत हे । बड़े बड़े डारा खांधा , टूट के फेंकावत हे  । घुड़ुर घाड़र बादर तको, मांदर कस बजावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । ठुड़गा ठुड़गा रुख राई के, पाना ह उलहावत हे । किसम किसम के भाजी पाला, नार मन लमावत हे । चढहे हाबे छानही में, खपरा ल लहुंटावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । सबो किसान ल खुसी होगे , नांगर ल सिरजावत हे । खातू माटी लाने बर , गाड़ा बइला  सजावत हे । सुत उठ के बड़े बिहनिया, खेत खार सब जावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " 15/06/2017

कहां ले बसंत आही

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पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । चातर होगे बाग बगीचा, कहां आमा मऊराही। नइहे टेसू फूल पलास अब, लइका मन नइ जाने कंप्यूटर के जमाना आगे, बात कोनों नइ माने । पहिली के जमाना कस, कहां मजा अब पाही । पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । नइ दिखे अब कौवा कोयल, कहां ले वोहा कुकही ठुठवा होगे रुख राई ह, कहां ले वोहा रुकही । नइहे सुनइया कोनों राग ल, कइसे वोहा गाही। पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " पंडरिया छत्तीसगढ़

"तोर पंइयां लागंव वो"

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******************** मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर पंइयां लागंव वो 2 मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर चरन पखारौं वो-2 तोर कोरा में गियानी मुनी,बीर सपूत सब आइस ए माटी में माथ नवाके, जीवन सफल बनाइस चंदन जइसे माटी तोरे -2 माथे तिलक लगावव वो मोर छत्तीसगढ़ .............. रतनपुर महामाया बिराजे, डोंगरगढ़ बम्लाई बस्तर में बस्तरहीन बिराजे,संबलपुर सम्बलाई धमतरी में बिलई माता -2,सबला मेंहा मनावव वो मोर छत्तीसगढ़ ----------------------------। महानदी अरपा अऊ पैरी, तोरे पांव धोवाथे खारून सोढू शिवनाथ ह,तोर दरश बर आथे शंकनी डंकनी लहरा मारे -2,आरती तोर उतारवौ वो मोर छत्तीसगढ़ ---------------------------। सोना खान के सोना चमके, देवभोग के हीरा बैलाडीला के लोहा निकले, बनके तोरे पीरा कोरबा के तोर बिजली चमके -2,जग में अंजोर बगरावों वो मोर छत्तीसगढ़ ----------------------------------। रचना ©महेन्द्र देवांगन माटी 2017