सरस्वती वंदना
"सरस्वती वंदना" (गीतिका छंद)
ज्ञान के भंडार भर दे , शारदे माँ आज तैं ।
हाथ जोंड़व पाँव परके , राख मइयाँ लाज तैं ।।
कंठ बइठो मातु मोरे , गीत गाँवव राग मा ।
होय किरपा तोर माता, मोर सुघ्घर भाग मा ।।
तोर किरपा होय जे पर , भाग वोकर जाग थे ।
बाढ़ थे बल बुद्धि वोकर , गोठ बढ़िया लाग थे ।।
बोल लेथे कोंदा मन हा , अंधरा सब देख थे ।
तोर किरपा होय माता , पाँव बिन सब रेंग थे ।।
रचनाकार
महेंद्र देवांगन *माटी*
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
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