धुंध
धुंध ( कोहरा)
दोहा छंद
आया मौसम ठंड का , धुंध बहुत हैं छाय ।
लगे काँपने देंह भी , अब तो धूप सुहाय ।।
छाया देखो धुंध है , राह नजर ना आय ।
गाड़ी भी तो रूक गई , कैसे आगे जाय ।।
देखी गहरी धुंध तो, ठिठक गये सब लोग ।
कसरत कर लो रोज ही , भगे देंह से रोग ।।
दौड़ लगाओ नित्य प्रति, धुंध रहे या धूप ।
बीमारी सब दूर हों , पीयो ताजा सूप ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati
दोहा छंद
आया मौसम ठंड का , धुंध बहुत हैं छाय ।
लगे काँपने देंह भी , अब तो धूप सुहाय ।।
छाया देखो धुंध है , राह नजर ना आय ।
गाड़ी भी तो रूक गई , कैसे आगे जाय ।।
देखी गहरी धुंध तो, ठिठक गये सब लोग ।
कसरत कर लो रोज ही , भगे देंह से रोग ।।
दौड़ लगाओ नित्य प्रति, धुंध रहे या धूप ।
बीमारी सब दूर हों , पीयो ताजा सूप ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati
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