पूजा

पूजा
( लघुकथा)

आज मंदिर में बहुत भीड़ थी । सभी लोग केला , संतरे, अंगूर, सेव, चूड़ी, फीता , चुनरी और न जाने क्या क्या सामान माता जी को चढ़ा रहे थे ।
पुजारी जल्दी जल्दी सबके सामान को लेकर रख रहे थे और प्रसाद दे रहे थे ।
मंदिर के बाहर कुछ भिखारी बैठे हुये भीख मांग रहे थे । मंदिर में आने वाले दर्शनार्थी नाक भौं सिकुड़ते हुए आगे बढ़ जाते थे ।
तभी एक चमचमाती हुई कार से एक महिला आई । वह भी माता जी को चढ़ाने के लिए फल , फूल और सामान लाई हुई थी । मंदिर के पास जाते ही भिखारी अपने हाथ फैलाने लगे ।
वह महिला ठिठक गई और कुछ सोचने लगी । फिर उसके बाद वह जितनी भी सामान और फल फूल लाई थी सबको बाँट दी , फिर मंदिर की ओर आगे बढ गई ।
उसके साथ आई उसकी सहेली बोली --- आप तो सभी चीजों को भिखारियों में बाँट दी अब मंदिर में क्या चढ़ायेगी ?
वह बोली -- मंदिर में तो सभी लोग चढ़ा हैं । वैसे भी माता जी उसे खायेगी नहीं । मैं तो यहाँ बैठे हुए साक्षात देवियों को खिला दी । मेरा मन संतुष्ट हो गया । अब माता जी को सिर्फ प्रणाम कर लूंगी ।
सभी लोग आश्चर्य से उस महिला की ओर देख रहे थे , और मन ही मन तारीफ भी कर रहे थे ।

लेख
महेन्द्र देवांगन माटी
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला- --- कबीरधाम
छत्तीसगढ़
8602407353

Mahendra Dewangan Mati

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