बरखा रानी
बरखा रानी
( सार छंद )
झूम रहे सब पौधे देखो , आई बरखा रानी ।
मौसम लगते बड़े सुहाने , गिरे झमाझम पानी ।।1।।
हरी भरी धरती को देखो , हरियाली है छाई ।
बाग बगीचे दिखते सुंदर, मस्ती सब में आई ।।2।।
कलकल करती नदियाँ बहती , झरने शोर मचाये ।
मोर नाचते वन में देखो , कोयल गाना गाये ।।3।।
बादल गरजे बिजली चमके , घटा घोर है छाई ।
सौंधी सौंधी माटी महके , बूंद पड़े जब भाई ।।4।।
खेत खार में झूम झूम कर , फसलें सब लहराये ।
हैं किसान को खुशी यहाँ पर , "माटी" गीत सुनाये ।।5।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया ( कवर्धा)
छत्तीसगढ़
mahendradewanganmati@gmail.com
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