पुरवाई चले
पुरवाई चले
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सरर सरर पुरवाई चले
मन ह मोर डोले
झुमरत हाबे डारा पाना
कोयली बाग में बोले ।
संऊधी संऊधी माटी के खुसबू
सबके मन ल भाये
होत मुंदरहा कूकरा बासत
बछरु घलो मेछराये।
चहकत हाबे चिरई चिरगुन
मुंहू ल अपन खोले
सरर सरर पुरवाई चले
मन ह मोर डोले ।
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रचना
प्रिया देवांगन
पंडरिया
जिला - कबीरधाम (छ ग )
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