बरखा रानी आई है
बरखा रानी आई है (ताटंक छंद) गड़गड़ गरजे आसमान से, घोर घटा भी छाई है। छमछम करती हँसते गाती, बरखा रानी आई है।। झूम उठी है धरती सारी, पौधे सब मुस्काये हैं । चहक उठी है चिड़िया रानी, भौंरा गाना गाये हैं ।। ठूँठ पड़े पेड़ों में भी तो, हरियाली अब छाई है। छमछम करती हँसते गाती, बरखा रानी आई है।। लगे छलकने ताल तलैया , पोखर सब भर आये हैं । कलकल करती नदियाँ बहती, झरने गीत सुनाये हैं ।। चमक चमक कर बिजली रानी, नया संदेशा लाई है। छमछम करती हँसते गाती, बरखा रानी आई है।। खुशी किसानों की मत पूछो, अब तो फसल उगाना है। नये तरीकों से खेतों में, नई क्रांति अब लाना है।। माटी की है महक निराली, फसलें भी लहराई है। छमछम करती हँसते गाती, बरखा रानी आई है।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendradewanganmati@gmail.com