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अगस्त क्रांति

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अगस्त क्रांति ************ क्रांति का आगाज हो चुका, चुप नहीं बैठेंगे हम । जब तक पूर्ण न हो मांग हमारी,  नहीं लेंगे कोई दम । उठा चुके हैं मशाल हाथ में, अब नहीं बुझने देंगे । भभक उठी है क्रांति ज्वाला, सर नहीं झुकने देंगे । देख लो अब ताकत हमारी,  अभी तो ये अंगड़ाई है । अगस्त क्रांति आ चुका है,  आगे और लड़ाई है । महेन्द्र देवांगन माटी Mahendra Dewangan Mati 10/08/2017

राम नाम जपले

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राम नाम जपले ************** राम नाम ल जप ले संगी , इही ह काम आही । ए जिनगी के नइहे ठिकाना, कोन बेरा उड़ जाही । कतको करबे हाय हाय ते, काम तोर नइ आये । सुख के मितवा सबो हरे, दुख में सब भाग जाये । माया मोह में फंसके तैंहा , बिरथा जिनगी गंवाये , देखत रही सगा सोदर, कोनों काम नइ आये । फेसबुक अऊ वाटसप में, हजारों दोस्त बनाये । परे रबे जब खटिया में, कोनों पुछे ल नइ आये । सबले बड़े मायाजाल हरे , फेसबुक अऊ वाटसप । जब तक हाबे नेट पैक जी, मारले तेंहा गप सप । माटी के हरे काया संगी, माटी में मिल जाही । भज ले हरि के नाम जी, इही काम तोर आही ।         रचना महेन्द्र देवांगन "माटी"        पंडरिया

बादर गरजत हे

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बादर गरजत हे ************** सावन भादो के झड़ी में, बादर ह गरजत हे । चमकत हे बिजली,  रहि रहि के बरसत हे । डबरा डबरी भरे हाबे , तरिया ह छलकत हे । बड़ पूरा हे नदियाँ ह जी , डोंगा ह मलकत हे । चारों कोती खेत खार , हरियर हरियर दिखत हे। लहलहावत हे धान पान, खातू माटी छींचत हे । सब के मन झूमत हाबे, कोयली गाना गावत हे। आवत हाबे राखी तिहार, भाई ल सोरियावत हे। घेरी बेरी बहिनी मन , सुरता ल लमावत हे । आही हमरो भइया कहिके, मने मन मुसकावत हे। रचना प्रिया देवांगन "प्रियू"  Priya dewangan priyu 

बम बम भोले

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बम बम भोले *************** हर हर बम बम भोलेनाथ के  ,  जयकारा लगावत हे । कांवर धर के कांवरिया मन , जल चढाय बर जावत हे । सावन महिना भोलेनाथ के, सब झन दरसन पावत हे । धुरिहा धुरिहा के सिव भक्त मन , दरस करे बर आवत हे । कोनों रेंगत कोनों गावत , कोनों घिसलत जावत हे । नइ रुके वो कोनों जगा अब , भले छाला पर जावत हे । आनी बानी के फल फूल अऊ , नरियर भेला चढावत हे । दूध दही अऊ चंदन रोली , जल अभिसेक करावत हे । भोलेनाथ के महिमा भारी , सबझन माथ नवावत हे । औघड़ दानी सिव भोला के, सब कोई आसीस पावत हे । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया

ऊं नमः शिवाय

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ऊं नमः शिवाय ************** जय शिव शंभु दया करो,हम तेरे शरण में आये तेरे दर को छोड़ के बाबा, और कहां हम जायें । ओम नम: शिवाय, ओम नम:शिवाय  4 देवों के तुम देव हो बाबा, महादेव कहलाये सबका संकट हरने वाला, लीला अजब रचाये। ओम नम:शिवाय ओम नम:शिवाय - 4 औघड़ दानी तू है बाबा, सबको देने वाला दीन दुखियों के सहारा है , भक्तों का रखवाला । ओम नम:शिवाय, ओम नम:शिवाय - 4 विष का प्याला पीने वाला, नीलकंठ कहलाये जो भी आये तेरे शरण में, सबको गले लगाये। ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय - 4            महेन्द्र देवांगन माटी             पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati 

बरसात

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बरसात बरसात का मौसम आया , बादल गरजे पानी लाया । झम झमाझम गिरे पानी, पानी खेले गुड़िया रानी । चम चमाचम बिजली चमके, छोटू छुप जाये फिर डरके । आसमान में काले बादल , दिख रहे हैं जैसे काजल । चुन्नू मुन्नू नाव चलाये, दादा दादी खूब चिल्लाये । दोनों पानी में भीग रहे, आक्छी आक्छी छींक रहें । टर्र टर्र मेढक चिल्लाये , पानी को फिर से बुलाये । पानी गिरे झम झमाझम, नाचे गुड़िया छम छमाछम । चारों ओर  हरियाली छाई, खेतों में फसलें लहलहाई । खुश हो गये  सभी किसान , मिट गई चिंता की सभी निशान । महेन्द्र देवांगन माटी 01/07/2017

बरसा के दिन आवत हे

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बरसा के दिन आवत हे टरर टरर मेचका गाके, बादर ल बलावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे । तरबर तरबर चांटी रेंगत, बीला ल बनावत हे । आनी बानी के कीरा मन , अब्बड़ उड़ियावत हे । बरत हाबे दीया बाती, फांफा मन झपावत हे  । घटा घनघोर छावत,  बरसा के दिन आवत हे । हावा गररा चलत हाबे, धुररा ह उड़ावत हे । बड़े बड़े डारा खांधा , टूट के फेंकावत हे  । घुड़ुर घाड़र बादर तको, मांदर कस बजावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । ठुड़गा ठुड़गा रुख राई के, पाना ह उलहावत हे । किसम किसम के भाजी पाला, नार मन लमावत हे । चढहे हाबे छानही में, खपरा ल लहुंटावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । सबो किसान ल खुसी होगे , नांगर ल सिरजावत हे । खातू माटी लाने बर , गाड़ा बइला  सजावत हे । सुत उठ के बड़े बिहनिया, खेत खार सब जावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " 15/06/2017