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तिरंगा

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सबसे ऊंचा झंडा आज रायपुर में फहराइस छत्तीसगढ़ के नाम ह दुनिया में छा गइस 82 मीटर ऊंचा हे तेलीबांधा तलाब में लहर लहर लहराये तिरंगा छत्तीसगढ़ के आकाश में 🇧🇴जय हिन्द - जय छत्तीसगढ़🇧🇴 महेन्द्र देवांगन माटी

अकती या अक्छय तृतीया के तिहार

अकती के तिहार ************************* छत्तीसगढ़ में अकती या अक्छय तृतीया तिहार के बहुत महत्व हे । ये दिन ल बहुत ही सुभ दिन माने गेहे। ये दिन कोई भी काम करबे ओकर बहुत ही लाभ या पून्य मिलथे। अइसे वेद पुरान में बताय गेहे। कब मनाथे - अकती के तिहार ल बैसाख महीना के अंजोरी पाख के तीसरा दिन मनाय जाथे। एला अक्छय तृतीया या अक्खा तीज कहे जाथे। अक्छय के मतलब ही होथे कि जो भी सुभ काम करबे ओकर कभू छय नइ होये। एकरे सेती एला अक्छय तृतीया कहे जाथे। परसुराम के अवतार - परसुराम के अवतार भी इही दिन होय रिहिसे एकरे पाय आज के दिन ल परसुराम जयंती के रुप में भी मनाथे ।  आज के दिन भगवान बिसनु अऊ लछमी के भी पूजा करे जाथे। एकर पूजा करे से बिसेस लाभ मिलथे दुवापर युग के समापन - पौरानिक कथा के अनुसार आज के दिन ही महाभारत युद्ध के अंत होइसे अऊ दुवापर युग के समापन भी होइसे। ये सब कारन से अकती के बहुत महत्व हे । खेती किसानी के सुरुवात - छत्तीसगढ़ ह किरसी परधान राज हरे। इंहा के जीविको पारजन ह खेती किसानी से चलथे। अकती के दिन किसान मन ह ठाकुर देव के पूजा पाठ करथे अऊ धान के बोवाई ल भी एक परतीक के रुप में करथ

हेलमेट

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हेलमेट ****************** जगा जगा पुलिस वाला, फटफटी ल रोकत हे नइ लगाहे हेलमेट वोला, भारी जुरमाना ठोंकत हे पुलिस वाला ल देखके, रसता बदल के जावत हे मेंड़ पार पैडगरी में, फटफटी ल कूदावत हे पुलिस मन ल मजा होगे, रोज कमई आवत हे जेब ह गरम होगे, आनी बानी के खावत हे जगा जगा हेलमेट ह, भारी बेंचावत हे दुकानदार मन खुस हे, एक के दू लगावत हे रचना महेन्द्र देवांगन माटी

पानी के बचत करो

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पानी के बचत करो ************************ पानी ह जिनगी के अधार हरे। बिना पानी के कोनो जीव जन्तु अऊ पेड़ पौधा नइ रहि सके। पानी हे त सब हे, अऊ पानी नइहे त कुछु नइहे। ये संसार ह बिन पानी के नइ चल सकय। ऐकरे पाय रहिम कवि जी कहे हे - रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून।। आज के जमाना में सबले जादा महत्व होगे हे पानी के बचत करना । पहिली के जमाना में पानी के जादा किल्लत नइ रिहिसे। नदियाँ, तरिया अऊ कुंवा मन में लबालब पानी भराय राहे। जम्मो मनखे मन तरीया, नदियां में जाये अऊ कूद-कूद के, दफोड़ - दफोड़ के डूबक - डूबक के नहा के आये।लड़का मन ह घंटा भर ले तउरत राहे अऊ पानी भीतरी छू छुवऊला तक खेले। एकर से शरीर ल फायदा तक राहे। एक तो शरीर के ब्यायाम हो जाये अऊ दूसर जे पानी में तंउरे बर आ जाथे ओहा पानी में कभू नइ बूड़े। आज तरिया नदिया में नहाय बर छूट गेहे तेकरे सेती आदमी मन तंउरे ल नइ सीखे हे। अऊ ओकरे सेती कतको आदमी मन पानी में बूड़ के मर जथे। नल के नवहइया मन कहां ले तंउरे ल सीखही ग? अऊ कभू कभार संऊख से टोटा भर पानी में चल देथे त उबुक  चुबुक हो जाथे। आज पानी ह दिनो दि

प्यासी चिड़िया

प्यासी चिड़िया ******************* प्यासी चिड़िया ढूंढ रही है पानी की एक बूंद इधऱ उधर सब भटक रही हैं पूरे झूंड के झूंड । चीं चीं चीं चीं करते करते कंठ गया है सूख झुलस रही हैं ताप में कैसे मिटाये भूख । दया करो इन चिड़ियों पर कोई न इसे भगाओ छत के ऊपर पानी रखकर दया भाव दिखलाओ । मुट्ठी भर चांवल का दाना छत पर तुम बिखराओ भूखे प्यासे इन चिड़ियों के जीवन तुम बचाओ । ***************************** महेन्द्र देवांगन माटी ( बोरसी - राजिम वाले ) Email -mahendradewanganmati@gmail.com ******************

माता ल मनाबो

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माता ल मनाबो ****************** मंदिर में भारी भीड़ लगे हे भक्त मन सब जावत हे नरियर केरा सेव अंगूर आनी बानी चढ़ावत हे । माता बर पूरा सिंगार अऊ चुनरी ल चढ़ावत हे घोलन घोलन के पांव परके अपन मनौती मनावत हे । घर के दाई पानी मांगत वोला नई पीयावत हे लांघन भूखन सुते हाबे वोला नइ खवावत हे । चीरहा फटहा पहिरे हाबे नवा नइ लेवावत हे कुछु कांहीं मांगत हे त धुरिहा ले चिल्लावत हे । कइसे माता खुस होही अब तुही मन बतावव कोन माता ल पहिली देखव कोन ल मय मनावव । दाई दुरगा खुस होही जब घर के माता ल मनाबे सुख शांति समरिद्धि आही जब दाई ल पहिली खवाबे । जय माता दी महेन्द्र देवांगन "माटी" ( बोरसी - राजिम वाले ) छत्तीसगढ़ 8602407353

नववर्ष व नवरात्रि की बधाई

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नववर्ष व नवरात्रि की बधाई ***************** महक उठे फूलों की खुशबू मौसम ने ली अंगड़ाई आप सबको मेरी ओर से नववर्ष की बधाई । खिल जाये जीवन की बगिया भरा पूरा परिवार सुख समृद्धि आये घर में यश फैले संसार । माता रानी की कृपा से जग में खुशियां छाई आप सबको मेरी ओर से नववर्ष की बधाई । हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं महेन्द्र देवांगन माटी