पानी के बचत करो
पानी के बचत करो ************************ पानी ह जिनगी के अधार हरे। बिना पानी के कोनो जीव जन्तु अऊ पेड़ पौधा नइ रहि सके। पानी हे त सब हे, अऊ पानी नइहे त कुछु नइहे। ये संसार ह बिन पानी के नइ चल सकय। ऐकरे पाय रहिम कवि जी कहे हे - रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून।। आज के जमाना में सबले जादा महत्व होगे हे पानी के बचत करना । पहिली के जमाना में पानी के जादा किल्लत नइ रिहिसे। नदियाँ, तरिया अऊ कुंवा मन में लबालब पानी भराय राहे। जम्मो मनखे मन तरीया, नदियां में जाये अऊ कूद-कूद के, दफोड़ - दफोड़ के डूबक - डूबक के नहा के आये।लड़का मन ह घंटा भर ले तउरत राहे अऊ पानी भीतरी छू छुवऊला तक खेले। एकर से शरीर ल फायदा तक राहे। एक तो शरीर के ब्यायाम हो जाये अऊ दूसर जे पानी में तंउरे बर आ जाथे ओहा पानी में कभू नइ बूड़े। आज तरिया नदिया में नहाय बर छूट गेहे तेकरे सेती आदमी मन तंउरे ल नइ सीखे हे। अऊ ओकरे सेती कतको आदमी मन पानी में बूड़ के मर जथे। नल के नवहइया मन कहां ले तंउरे ल सीखही ग? अऊ कभू कभार संऊख से टोटा भर पानी में चल देथे त उबुक चुबुक हो जाथे। आज पानी ह दिनो दि