शारदे वंदन

 




"शारदे वंदन"


चरण कमल में तेरे माता, अपना शीश झुकाते हैं।

ज्ञान बुद्धि के देने वाली, तेरे ही गुण गाते हैं।।

श्वेत कमल में बैठी माता, कर में पुस्तक रखती।

राजा हो या रंक सभी का, किस्मत तू ही लिखती।।

वीणा की झंकारे सुनकर, ताल कमल खिल जाते हैं।

बैठ पुष्प में तितली रानी, भौंरा गाना गाते हैं।।

मधुर मधुर मुस्कान बिखेरे, ज्ञान बुद्धि तू देती है।

शब्द शब्द में बसने वाली, सबका मति हर लेती है।।

मैं अज्ञानी बालक माता, शरण आपके आया हूँ।

झोली भर दे मेरी मैया, शब्द पुष्प मैं लाया हूँ।।


रचनाकार 

महेंद्र देवांगन "माटी"

पंडरिया

जिला - कबीरधाम

छत्तीसगढ़




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