सपने

 



"सपने"


मिल बैठे थे हम दोनों जब, ऐसी बातों बातों में ।

बंद नयन के सजते सपने, झाँक रही हैं यादों में ।


तू है चंचल मस्त चकोरी, हरदम तू मुस्काती है।

डोल उठे दिल की सब तारें, कोयल जैसी गाती है।।


पायल की झंकार सुने हम, खो जाते हैं ख्वाबों में ।

बंद नयन के सजते सपने, झाँक रही हैं यादों में ।।


पास गुजरती गलियों में जब, खुशबू तेरी आती है।

चलती है जब मस्त हवाएँ,  संदेशा वह लाती है।।


उड़ती तितली झूमें भौरें , सुंदर लगते बागों में ।

बंद नयन के सजते सपने, झाँक रही हैं यादों में ।।


कैसे भूलें उस पल को जो, दोनों साथ बिताये हैं ।

हाथों में हाथों को देकर, वादे बहुत निभाये हैं ।।


छोड़ चली अब अपने घर को, रची मेंहदी हाथों में ।

बंद नयन के सजते सपने, झाँक रही हैं यादों में ।।


मिल बैठे थे हम दोनों जब, ऐसी बातों बातों में ।

बंद नयन के सजते सपने, झाँक रही हैं यादों में ।।


रचनाकार

महेन्द्र देवांगन "माटी"

पंडरिया

छत्तीसगढ़




Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

तेरी अदाएँ

अगहन बिरसपति

वेलेंटटाइन डे के चक्कर