असली रावण मारो
असली रावण मारो
गली गली रावण घूमत हे , ओकर भुररी बारो ।
नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण मारो ।।
रोज करत हे अत्याचारी , आँखी ला देखाथे ।
करथे दादागीरी अब्बड़ , तलवार ला उठाथे ।।
हिम्मत करके आघू आवव , मिलके सब ललकारो ।
नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण मारो ।।
जुंवा चित्ती सटटा मटका , रोज अबड़ खेलाथे ।
गाँव गाँव मा दारु बेंच के , पइसा अबड़ कमाथे ।।
दिखत हवय गा साव बरोबर , आँखी अपन उघारो ।
नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण मारो ।।
बेटी माई हरण करत हे , इज्जत रोज लूटथे ।
पर के सुख ला देख नइ सकय , ओकर आँख फूटथे ।।
अइसन पापी रावण मन ला , आगी मा अब डारो ।
नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण मारो ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
19/10/2018
Comments
Post a Comment