बसंती हवा

बसंती हवा
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लाल लाल फूले हे , परसा के फूल ।
बांधे हे पेड़ मा , झूलना ला झूल ।
पिंयर पिंयर दिखत हे, सरसों के खेत ।
गाय गरु चरत हे , करले थोकिन चेत ।
टप टप टपकत हावय , मऊहा के फर ।
बीन बीन के टूरी तैं , झंऊहा मा धर ।
आये हे बसंत रितु,  चलत हे बयार ।
मेला घूमे ला जाबोन,  रहिबे तइयार ।
आवत हे होली अऊ , गाबोन जी फाग ।
मय गाहूं गाना अऊ , तैं झोंकबे राग ।
मटक मटक रेंगत हे , मोटियारी टूरी ।
खन खन बजावत हे , हाथ के चूरी ।
फुरुर फुरुर चलत हे , बसंती हवा ।
मटकावत हे आंखी,  पहिरे कपड़ा नवा ।
आमा बगीचा मा, कोयली ह मारत कूक ।
आज मोरो मन ह , करत हे धूक धूक ।

महेन्द्र देवांगन माटी
(बोरसी - राजिम वाले )
पंडरिया  (कवर्धा )
8602407353

Mahendra Dewangan Mati

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