दीप जलाने आया हूँ
दीप जलाने आया हूँ
(ताटंक छंद)
दुर्गा माता के चरणों में , दीप जलाने आया हूँ ।
चूड़ी कंगन रोली टीका , चुनरी फीता लाया हूँ ।।
दूर दूर से दर्शन करने , श्रद्धालू सब आते हैं ।
माता जी के चरणों में सब , श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं ।।
मनोकामना पूरी करती , जो मांगो दे देती है ।
बड़ी दयालू माता जी है , संकट सब हर लेती है ।।
मैं बालक तू माता मेरी , द्वार तुम्हारे आया हूँ ।
माटी का मैं दीप जलाकर , काव्य पुष्प ये लाया हूँ ।।
ध्यान किया मैं जब जब माता, अपने दिल में पाया हूँ ।
चूड़ी कंगन रोली टीका , चुनरी फीता लाया हूँ ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati @
ताटंक छंद
16 + 14 = 30 मात्रा
पदांत ---- 3 गुरु अनिवार्य
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