रोज रोज मारत हवय, गोली पाकिस्तान । समझौता ला टोरथे , लबरा ओला जान ।।1।। करजा लेके भाग गे , बड़े बड़े धनवान । देखत रहिगे देश हा, होगे मरे बिहान ।।2।। करजा मा बूड़े हवय, छोटे बड़े किसान । कइसे छूटन सोंच के, देवत अपन परान ।।3।। बोलव भाखा प्रेम के, सब झन हा मोहाय । बनथे बिगड़े काम हा, मन मा खुशी समाय ।।4।। करकश बोली बोल के , मत कर तेंहा भेद । टुकड़ा टुकड़ा हो जथे, दिल मा होथे छेद ।।5।। नशा नाश के जर हरय, झन कर एकर साद । जाथे पइसा मान सब , कर देथे बरबाद ।।6।। नशा पान जेहा करय, ओकर नइहे मान । उजड़े घर परिवार सब, जिनगी बिरथा जान ।।7।। माला पहिरे घेंच मा , धरय साधु के भेस । ठग जग करके लोग ला , पहुँचाये जी ठेस ।।8।। कान्हा खेलय ब्रज मा , राधा डारय रंग । बांही पकड़े खींच के , लिपटावत हे अंग ।।9।। साफ रखव घर-द्वार ला,रोग तीर नइ आय। दिन सुग्घर परिवार के,हाँसत बीते जाय।।10।। रामायण गीता पढ़व , चाहे पढ़व कुरान । दया धरम सेवा करव, बनबे तब इंसान ।।11।। मिलव जुलव सब प्रेम से, करलव मीठा बात । करु वचन कँहू बोलबे, परही जम के लात ।।12।। छत्तीसगढ़ी बोल के , बढ़ावव एकर मान