Posts

बरसात

Image
बरसात बरसात का मौसम आया , बादल गरजे पानी लाया । झम झमाझम गिरे पानी, पानी खेले गुड़िया रानी । चम चमाचम बिजली चमके, छोटू छुप जाये फिर डरके । आसमान में काले बादल , दिख रहे हैं जैसे काजल । चुन्नू मुन्नू नाव चलाये, दादा दादी खूब चिल्लाये । दोनों पानी में भीग रहे, आक्छी आक्छी छींक रहें । टर्र टर्र मेढक चिल्लाये , पानी को फिर से बुलाये । पानी गिरे झम झमाझम, नाचे गुड़िया छम छमाछम । चारों ओर  हरियाली छाई, खेतों में फसलें लहलहाई । खुश हो गये  सभी किसान , मिट गई चिंता की सभी निशान । महेन्द्र देवांगन माटी 01/07/2017

बरसा के दिन आवत हे

Image
बरसा के दिन आवत हे टरर टरर मेचका गाके, बादर ल बलावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे । तरबर तरबर चांटी रेंगत, बीला ल बनावत हे । आनी बानी के कीरा मन , अब्बड़ उड़ियावत हे । बरत हाबे दीया बाती, फांफा मन झपावत हे  । घटा घनघोर छावत,  बरसा के दिन आवत हे । हावा गररा चलत हाबे, धुररा ह उड़ावत हे । बड़े बड़े डारा खांधा , टूट के फेंकावत हे  । घुड़ुर घाड़र बादर तको, मांदर कस बजावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । ठुड़गा ठुड़गा रुख राई के, पाना ह उलहावत हे । किसम किसम के भाजी पाला, नार मन लमावत हे । चढहे हाबे छानही में, खपरा ल लहुंटावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । सबो किसान ल खुसी होगे , नांगर ल सिरजावत हे । खातू माटी लाने बर , गाड़ा बइला  सजावत हे । सुत उठ के बड़े बिहनिया, खेत खार सब जावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " 15/06/2017

कहां ले बसंत आही

Image
पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । चातर होगे बाग बगीचा, कहां आमा मऊराही। नइहे टेसू फूल पलास अब, लइका मन नइ जाने कंप्यूटर के जमाना आगे, बात कोनों नइ माने । पहिली के जमाना कस, कहां मजा अब पाही । पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । नइ दिखे अब कौवा कोयल, कहां ले वोहा कुकही ठुठवा होगे रुख राई ह, कहां ले वोहा रुकही । नइहे सुनइया कोनों राग ल, कइसे वोहा गाही। पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " पंडरिया छत्तीसगढ़

"तोर पंइयां लागंव वो"

Image
******************** मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर पंइयां लागंव वो 2 मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर चरन पखारौं वो-2 तोर कोरा में गियानी मुनी,बीर सपूत सब आइस ए माटी में माथ नवाके, जीवन सफल बनाइस चंदन जइसे माटी तोरे -2 माथे तिलक लगावव वो मोर छत्तीसगढ़ .............. रतनपुर महामाया बिराजे, डोंगरगढ़ बम्लाई बस्तर में बस्तरहीन बिराजे,संबलपुर सम्बलाई धमतरी में बिलई माता -2,सबला मेंहा मनावव वो मोर छत्तीसगढ़ ----------------------------। महानदी अरपा अऊ पैरी, तोरे पांव धोवाथे खारून सोढू शिवनाथ ह,तोर दरश बर आथे शंकनी डंकनी लहरा मारे -2,आरती तोर उतारवौ वो मोर छत्तीसगढ़ ---------------------------। सोना खान के सोना चमके, देवभोग के हीरा बैलाडीला के लोहा निकले, बनके तोरे पीरा कोरबा के तोर बिजली चमके -2,जग में अंजोर बगरावों वो मोर छत्तीसगढ़ ----------------------------------। रचना ©महेन्द्र देवांगन माटी 2017

सुप्रभात

Image
मुंदरहा ले उठके, कूकरा ह चिल्लावत हे बिहनिया होगे कहिके, सबला बतावत हे फूल गेहे चारो कोती ,फूलवारी में फूल माटी म खुसबू ल,गाँव भर बगरावत हे । बिहनिया के जय जोहार महेन्द्र देवांगन माटी Mahendradewanganmati ♏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹👏

मदर डे

Image
वाह रे जमाना, कइसे "मदर डे " मनावत हे । बात ल मानत नइहे, वाटसप ल चलावत हे । दुनिया भरके ग्रुप में, बधाई सबला देवत हे । खटिया में परे हे दाई, कोनों सुध नइ लेवत हे । जानो मानों श्रवण कस, भक्ति ल देखावत हे । मांगत हाबे पानी दाई, तब अब्बड़ खिसियावत हे उपर छावा बधाई भेज के, मदर डे मनावत हे । आनी बानी के फोटो खींचके, जी ल कल्लावत हे। मां तो हरे करुणा के मूरती, दुख ओकर पहिचानव एक दिन से कुछु नइ होये, रोज मदर डे मनावव । रोज मदर डे मनावव, रोज मदर डे मनावव । महेन्द्र देवांगन माटी ♏✍ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

झांझ चलत

झांझ चलत भाई, झांझ चलत । सरी मंझनिया , झांझ चलत । एसो गरमी, बहुत परत । झांझ चलत , भाई झांझ चलत । सुक्खा गेहे , सब रुख राई । बांचे नइहे, एको पत्ता भाई । चिरई चिरगुन , पियास मरत । झांझ चलत भाई, झांझ चलत। सरी मंझनिया , झांझ चलत । महेन्द्र देवांगन माटी ✍ ☀🌟☀💥☀☄🌟☄☀