बरसा के दिन आवत हे
बरसा के दिन आवत हे टरर टरर मेचका गाके, बादर ल बलावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे । तरबर तरबर चांटी रेंगत, बीला ल बनावत हे । आनी बानी के कीरा मन , अब्बड़ उड़ियावत हे । बरत हाबे दीया बाती, फांफा मन झपावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे । हावा गररा चलत हाबे, धुररा ह उड़ावत हे । बड़े बड़े डारा खांधा , टूट के फेंकावत हे । घुड़ुर घाड़र बादर तको, मांदर कस बजावत हे । घटा घनघोर छावत , बरसा के दिन आवत हे । ठुड़गा ठुड़गा रुख राई के, पाना ह उलहावत हे । किसम किसम के भाजी पाला, नार मन लमावत हे । चढहे हाबे छानही में, खपरा ल लहुंटावत हे । घटा घनघोर छावत , बरसा के दिन आवत हे । सबो किसान ल खुसी होगे , नांगर ल सिरजावत हे । खातू माटी लाने बर , गाड़ा बइला सजावत हे । सुत उठ के बड़े बिहनिया, खेत खार सब जावत हे । घटा घनघोर छावत , बरसा के दिन आवत हे । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " 15/06/2017