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वंदे मातरम गाबोन

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वंदे मातरम गाबोन ******************* तीन रंग के हमर तिरंगा 2, सान से हम लहराबोन। वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन 2 देश हमर आजाद करे बर, कतको जान गंवाइस । बीर सपूत बलिदानी होगे, तब आजादी आइस । नइ झुकन देन हम तिरंगा 2, फहर फहर फहराबोन वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन । सन अटठारा सौ संतावन, लक्ष्मी बाई जब आइस काली बन के टूट परीस वो, सबला मजा चखाइस दे दीस अपन जान के बाजी 2,कइसे हम भुलाबोन । वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन । फिरंगी के राज में सबझन , कतका दुख ल पाइस। राजगुरु अऊ भगत सिंह ल, फांसी में चढाइस। हांसत हांसत झूलगे झूला 2, कुरबानी कहां भुलाबोन । वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन । सत्य अहिंसा के पुजारी, गांधी बबा ह आइस । स्वदेशी के मान रखे बर,चरखा खूब चलाइस । ओकर संदेश नइ जाय बेकार 2, स्वच्छता ल अपनाबोन । वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन । आन बान अऊ सान तिरंगा, एकर मान बढाबोन जान के बाजी देके अपन, एला हम बचाबोन । रखबो एकर लाज हमन अब 2,लहर लहर लहराबोन वंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम गाबोन । तीन रंग के हमर तिरंगा, सान से हम लहराब

अन्न दान के परब - छेरछेरा

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अन्नदान के परब - छेरछेरा ************************* हमर भारत देश में पूजा पाठ अऊ दान के बहुत महत्व हे। दान करे बर जाति अऊ धरम नइ लागय। हमर भारतीय संसकिरती में हिन्दू, मुसलिम, सिख, ईसाई, जैन सबो धरम के आदमी मन दान धरम करथे अऊ पून कमाथे। हमर वेद पुरान अऊ सबो धरम के गरन्थ में दान के महिमा ल बताय गेहे। हमर छत्तीसगढ़ में भी अन्नदान करे के बहुत महत्व हे। इंहा के मनखे मन बड़ दयालु हे। कोनों आदमी ल भूखन मरन नइ देख सकय। एकरे सेती दूसर परदेस के मनखे मन घलो आके इंहा बस जथे। छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा अऊ इंहा के किसान ल अन्नदाता भगवान कहे जाथे। काबर किसान मन ह अपन पूरा मेहनत अऊ पसीना ओगार के अन्न के उपज करथे अऊ सबके उदर पोसन करथे। किसान मन ह धान के ऊपज करके कूट मिंज के अपन घर में लाथे अऊ कोठी डोली में रखके साल भर तक एमे अपन खरचा घलो चलाथे। हमर भारतीय संसकिरीती में बताय गेहे के अपन कमई के दसवां भाग ल दान करना चाही तभे आदमी ल पून के परापति होथे अऊ जस के भागी बनथे। इही संसकिरती ल आघू बढ़ावत पूस पुन्नी के दिन छत्तीसगढ़ में छेरछेरा परब मनाय जाथे। छेरछेरा परब ह अन्नदान के परब आय। ए दिन छोटे बड़े लइका

छत्तीसगढ़ी भासा

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छत्तीसगढ़ी भासा ल पढबो अऊ पढाबोन हमर राज ल जुर मिलके, सबझन आघू बढाबोन । नोनी पढही बाबू पढही, पढही लइका के दाई । डोकरा पढही डोकरी पढही, पढही ममा दाई । इसकूल आफिस सबो जगा,छत्तीसगढ़ी में गोठियाबोन। अपन भासा बोली ल, बोले बर कार लजाबोन । कतको देश विदेश में पढले, फेर छत्तीसगढ़ी ल नइ भुलावन । अपन रिती रिवाज ल संगी , कभू नइ  गंवावन । काम काज के भासा घलो, छत्तीसगढ़ी ल बनाबोन । देश विदेश सबो जगा, एकर मान बढाबोन । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी "     पंडरिया 8602407353

जाड़ बाढ़त हे

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जाड़ बाढ़त हे ****************** सुर सुर सुर सुर हवा चलत हे, जाड़ अब्बड़ बाढ़हत हे बिहनिया के होते साठ डोकरी ह आगी  बारत हे। जुड़ पानी ल छुये नइ सकस, तात पानी ल मढहावत हे, लोग लइका के नाक बोहावत, डोकरा ह खिसियावत हे। खोरोर खोरोर खांसत डोकरी, डोकरा ह बगियावत हे, काम बुता जादा झन करे कर डोकरी, डोकरा ह समझावत हे। चुल्हा तीर मे बइठ के डोकरा, बिड़ी ल सुलगावत हे, सेटर साल ल ओढ के डोकरी, आगी ल सिपचावत हे। गरम पानी में नहावत डोकरा जाड़ ह अब्बड़ लागत हे घाम तीरन बइठ के डोकरी, दार भात साग खावत हे। ************ रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

रोटियां

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रोटियां ********** गोल गोल जब घर में, बनती हैं रोटियां खाकर मन तृप्त हो जाती है रोटियां। आते ही घर में, पानी देती है बेटियाँ गरम गरम तुरंत, खिलाती हैं रोटियां । चंदा सा गोल , जब बनती हैं रोटियां नया नया सपना, दिखाती हैं रोटियां । मेहनत कर कमाई से,जब खाते हैं रोटियां दिल में सुकून और शांति, दे जाती हैं रोटियां । मां अपनी हाथों से,जब बनाती हैं रोटियां दो कौर और ज्यादा, खिलाती हैं रोटियां । ************** रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

मोदी बम

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मोदी बम फूटगे, काला धन वाला मन के पसीना छूटगे। पइसा के दम में बड़ अटियाय, छोटे आदमी मन से, सोजबाय नइ गोठियाय । अब तो भात ह नइ खवावत हे, पानी तक ह टोंटा में नइ लिलावत हे। रात रात भर घुघवा कस जागत हे, अब तो हार्ट अटेक आ जही,अइसे लागत हे। एती मायावती मुलायम राहूल, सबो झन बड़बड़ावत हे, कइसे जीतबो चुनाव, चेथी ल खजवावत हे। अब निकालत बनत न धरत बनत सांप छछूंदर कस गति होगे, राजा से एके घंऊ रंक बनगे बइहा भूतहा कस मति होगे । मोदी फोरीस अइसे बम न बाजीस न लागीस सबके निकलगे एके दरी दम। चाय वाला कोन अऊ अर्थशास्त्री कोन समझ में  नइ आवत हे, अर्थशास्त्री चाय पीयत बइठे हे अऊ चाय वाला सरजिकल स्ट्राइक लगावत हे। महेन्द्र देवांगन माटी ✍� 😃😃😃😃😃😃😃Ⓜ🙏�🙏

माटी के दीया

माटी के दीया जलावव ************ माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव । चाइना माल के चक्कर छोड़ो, स्वदेसी ल अपनावव। माटी के दीया  ........................ बइठे हे कुमहारिन दाई, देखत हाबे रसता । राखे हाबे माटी के दीया, बेचत सस्ता सस्ता । का सोंचत हस ले ले संगी, घर घर  में बगरावव। माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव  झालर मालर छोड़ो संगी, दीया ल बगरावव। माटी के दीया जलाके संगी, लछमी दाई ल बलावव । घर में आही सुख सांति, जुर मिल तिहार मनावव। माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव । चाइना माल से होवत हाबे, जन धन सबमे हानि । हमर देस में बिकरी करके, करत हे मनमानी । आंख देखावत हमला ओहा, वोला तुम दुतकारव माटी के दीया जलावव संगी,माटी के दीया जलावव । आवत हे देवारी तिहार, घर कुरिया ल लीपावव । गली खोर ल साफ  रखो, स्वच्छता के संदेश लावव। ओदरत हाबे घर कुरिया ह, सब ल तुम छबनावव। माटी के दीया जलावव संगी, अंधियारी ल भगावव । रचना महेन्द्र देवांगन माटी