हमर नंदावत खेल
हमर नंदावत खेल
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जब ले आहे किरकेट ह, गुल्ली डंडा नंदागे
लइकापन के बांटी भंउरा, जाने कहां गंवागे
पारा भर के लइका मन ह, हटरी म सकलाये
खेलन छू छुवउला संगी, अब्बड़ मजा आये
बेंदरा सही पेड़ में कूदन, खेलन डंडा पचरंगा
पटकीक पटका कुसती खेलन, कोनों राहे बजरंगा
तुक तुक के बांटी खेलन, अऊ चलावन भंऊरा
रेसटीप अऊ नदी पहाड़ ल, खेलन चंऊरा चंऊरा
बदलगे जमाना संगी, जम्मो खेल नंदागे
तइहा के बात ल बइहा लेगे, संसकिरती ल भुलागे
टीवी अऊ मोबाइल में, सबो आदमी भुलाये हे
सुन्ना परगे खोर गली, कुरिया में दुनिया समाये हे
रचना
महेन्द्र देवांगन "माटी"
( बोरसी - राजिम वाले )
गोपीबंद पारा पंडरिया
अब्बड़ सुग्घर सर जी
ReplyDeleteबहुँतेच सुघ्घर रचना करे हाबव... अइसन सरलगहा चलते राहय...
ReplyDeletehttp://nwabihan.blogspot.in/
बहुत बहुत धन्यवाद संगवारी शत्रुहन कुर्रे जी अऊ संतोष कुमार जी ।
ReplyDeleteअइसने मया बनाय रहहू।
बहुत बहुत धन्यवाद संगवारी शत्रुहन कुर्रे जी अऊ संतोष कुमार जी ।
ReplyDeleteअइसने मया बनाय रहहू।