जुलूस

जुलूस -- महेन्द्र देवांगन माटी
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दारू भट्टी बंद करो कहिके
सब झन ह सकलाइस
आनी बानी के नारा लगा के
जोर जोर से चिल्लाइस ।
हाथ में मशाल धर के
जुलूस भारी निकालीस
लोग लइका सबो झन ल
 गली खोर किंजारीस ।
किंजर किंजर के थकगे सब
हाथ गोड ह पिरागे
गियापन ल सौंपीस ताहन
जुलूस ह सिरागे ।
थक मांद के सब झन ह
अपन अपन घर आईस
थकान ल दूर करें बर
भटठी डाहर भगाईस ।
दू दू पेग पीके सब
थकान अपन मिटाईस
लडबिड लडबिड करत
घर में जाके सुरताईस ।।
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महेन्द्र देवांगन "माटी"
बोरसी - राजिम


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