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राम नाम जप ले

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राम नाम जप ले  राम नाम ला जप ले भैया,  इही काम गा सब आही । चारे दिन के हावय जिनगी,  सँग मा तोरे का जाही ।।1।। कतको रखबे दौलत तैंहा , सब माटी मा मिल जाही । कुटुम कबीला जम्मो झन हा,  लूट लूट के गा खाही ।।2।। मया मोह के फांदा संगी , बगरे हावय सब कोती । झूठ लबारी सुघ्घर दिखथे,  जाबे झन तैंहर ओती ।।3।। सत के रस्ता चलबे तैंहा , पाप सबो गा कट जाही । दया मया ला राखे रहिबे,  गुन ला तोरे सब गाही ।।4।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ कुकुभ छंद मात्रा  --- 16 + 14 = 30 अंत में दो गुरु अनिवार्य

पेड़ लगावव ( कुकुभ छंद)

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पेड़ लगावव (कुकुभ छंद) पेड़ लगावव मिलजुल संगी , तभे तुमन फल पाहू जी । बड़का होही बिरवा तब तो , सबझन छँइहा पाहू जी ।।1।। मिलही छ़ँइहा घर अँगना मा , पंछी के होही डेरा । चिरई चिरगुन चहकत रइही,  रोज लगाही जी फेरा ।।2।। सुघ्घर खुशबू आही घर मा , छाया मा सुरताहू जी । पेड़ लगावव मिलजुल संगी , तभे तुमन फल पाहू जी ।।3।। जंगल झाड़ी रहिथे तब तो , होथे जी बरसा पानी । धान पान सब बढ़िया होथे  , चलथे सुघ्घर जिनगानी ।।4।। आज लगालव सबझन बिरवा , नइते सब पछताहू जी । पेड़ लगावव मिलजुल संगी  , तभे तुमन फल पाहू जी ।।5।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कबीरधाम ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan. Mati मात्रा- - 16 + 14 = 30 पदांत में 2 गुरु अनिवार्य

नमन करें

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नमन करें ( ताटंक छंद) नमन करें हम मातु पिता को ,  श्रद्धा सुमन चढाते है । नमन करें हम गुरु चरणों को ,  हमको राह दिखाते हैं ।।1।। नमन करें हम धरती अंबर ,  सूरज चाँद सितारों  को । नमन करें परिवार जनों को , सुख दुख के सब प्यारों को ।।2।। नमन करें हम देवी देवत ,  जग के पालन हारी को । नमन करें हम पशु पक्षी को , उड़ते सब नभचारी को ।।3।। नमन करें हम अरुण वरुण को , सबके जीवन दाता हैं । नमन करें हम मातृभूमि को , जो हम सबकी माता है ।।4।। नमन करें पर्वत पठार को ,  नदियाँ झरने घाटी को । नमन करें हम इस वसुधा के,  कण कण पावन माटी को ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati 25/09/18 16 + 14 = 30 मात्रा पदांत 3 गुरु

बरखा रानी

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बरखा रानी ( सार छंद ) झूम रहे सब पौधे देखो , आई बरखा रानी । मौसम लगते बड़े सुहाने , गिरे झमाझम पानी ।।1।। हरी भरी धरती को देखो , हरियाली है छाई । बाग बगीचे दिखते सुंदर,  मस्ती सब में  आई ।।2।। कलकल करती नदियाँ बहती  , झरने शोर मचाये । मोर नाचते वन में देखो , कोयल गाना गाये ।।3।। बादल गरजे बिजली चमके , घटा घोर है छाई । सौंधी सौंधी माटी महके , बूंद पड़े जब भाई ।।4।। खेत खार में झूम झूम कर , फसलें सब लहराये । हैं किसान को खुशी यहाँ पर ,  "माटी" गीत सुनाये ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया ( कवर्धा) छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com

गुरु (दोहे )

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गुरु गुरू बिना मिलथे कहाँ,  कोनों ला जी ज्ञान । कर ले कतको जाप तैं , चाहे देदव जान ।।1।। नाम गुरू के जाप कर , तैंहा बारम्बार । मिलही रस्ता ज्ञान के  , होही बेड़ापार ।।2।। छोड़व झन अब हाथ ला , रस्ता गुरु देखाय । दूर करय अँधियार ला , अंतस दिया जलाय ।।3।। सेवा करले प्रेम से  , एहर जस के काम । गुरु देही आशीष तब , होही जग मा नाम ।।4।। पारस जइसे होत हे , सदगुरु के सब ज्ञान । लोहा सोना बन जथे , देथे जेहा ध्यान ।।5।। देथे शिक्षा एक सँग,  गुरुजी बाँटय ज्ञान । कोनों कंचन होत हे , कोनों काँच समान ।।6।। सत मारग मा रेंग के  , बाँटव सब ला ज्ञान । गुरू कृपा ले हो जथे  , मूरख भी विद्वान ।।7।। शिक्षक के आदर करव , पूजव सबो समाज । राह बताथे ज्ञान के  , तब होथे सब काज ।।8।। शिक्षा जेहा देत हे , वोहर गुरू समान । माथ नवावँव पाँव मा , असली गुरु तैं जान ।।9।। आखर आखर जोड़ के  , बाँटय सब ला ज्ञान । मूरख बनय सुजान जी  , अइसन गुरू महान ।।10।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati @

किशन कन्हैया

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किशन कन्हैया छन्न पकैया पकैया  , नाचे किशन कन्हैया । गोप ग्वाल सब ताली पीटे,  नाचत ताता थैया ।।1।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , मुरली मधुर बजाये । बंशी के धुन सुन के भैया  , राधा दौड़त आये ।।2।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , गइया रोज चराये । एती ओती गइया भागे , छेंक छेंक के लाये ।।3।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , गोप ग्वाल सब आये । चुपके चुपके घर मा जाके  , माखन मिश्री खाये ।।4।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , मोहन खावय रोटी । उड़ के आथे कौवा संगी , धर के लेगे बोटी ।।5।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , पुक खेले बर जाये । एक लात जब कस के मारे  , यमुना मा फेंकाये ।।6।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , यमुना अब्बड़ गहरा । शेषनाग हा बइठे हावय , देवत वोहा पहरा ।।7।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , शेषनाग फुफकारे । जाके यमुना भीतर मोहन  , कूद कूद के मारे ।।8।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , मटकी सबके फोड़े । मुसकिल होगे जाना संगी  , कोनों ला नइ छोड़े ।।9।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , मोहन रास रचाये । ग्वाल बाल अउ राधा नाचय , अबड़ मजा जी पाये ।।10।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ @Mahendra Dewangan Mati

बाल कृष्ण

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बाल कृष्ण  ( सार छन्द में ) बाल कृष्ण के लीला भारी , बोले नटवर लाला । राधा क्यों गोरी है मैया , मैं क्यों बिल्कुल काला ।। बात अजब सुनकर के मैया , मंद मंद मुस्काये । ऐसे क्यों कहता है लल्ला , तुमको क्यों बतलाये ।। मोहन बोले सुन ले मैया , आज मुझे बतलाओ । रुठ जाऊँगा अब मैया मैं,  पास नहीं तुम आओ ।। सुन मोहन के बात यशोदा , उसको गले लगाई । क्यों काला है सुन ले लल्ला,  आज उसे बतलाई ।। बंदीगृह में जन्म लिया है , तू है किस्मत वाला । अँधियारी में आया है तू , इसीलिए है काला ।। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati मात्रा ---- 16 +12 =28