Posts

जाड़ बाढ़त हे

Image
जाड़ बाढ़त हे ****************** सुर सुर सुर सुर हवा चलत हे, जाड़ अब्बड़ बाढ़हत हे बिहनिया के होते साठ डोकरी ह आगी  बारत हे। जुड़ पानी ल छुये नइ सकस, तात पानी ल मढहावत हे, लोग लइका के नाक बोहावत, डोकरा ह खिसियावत हे। खोरोर खोरोर खांसत डोकरी, डोकरा ह बगियावत हे, काम बुता जादा झन करे कर डोकरी, डोकरा ह समझावत हे। चुल्हा तीर मे बइठ के डोकरा, बिड़ी ल सुलगावत हे, सेटर साल ल ओढ के डोकरी, आगी ल सिपचावत हे। गरम पानी में नहावत डोकरा जाड़ ह अब्बड़ लागत हे घाम तीरन बइठ के डोकरी, दार भात साग खावत हे। ************ रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

रोटियां

Image
रोटियां ********** गोल गोल जब घर में, बनती हैं रोटियां खाकर मन तृप्त हो जाती है रोटियां। आते ही घर में, पानी देती है बेटियाँ गरम गरम तुरंत, खिलाती हैं रोटियां । चंदा सा गोल , जब बनती हैं रोटियां नया नया सपना, दिखाती हैं रोटियां । मेहनत कर कमाई से,जब खाते हैं रोटियां दिल में सुकून और शांति, दे जाती हैं रोटियां । मां अपनी हाथों से,जब बनाती हैं रोटियां दो कौर और ज्यादा, खिलाती हैं रोटियां । ************** रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

मोदी बम

Image
मोदी बम फूटगे, काला धन वाला मन के पसीना छूटगे। पइसा के दम में बड़ अटियाय, छोटे आदमी मन से, सोजबाय नइ गोठियाय । अब तो भात ह नइ खवावत हे, पानी तक ह टोंटा में नइ लिलावत हे। रात रात भर घुघवा कस जागत हे, अब तो हार्ट अटेक आ जही,अइसे लागत हे। एती मायावती मुलायम राहूल, सबो झन बड़बड़ावत हे, कइसे जीतबो चुनाव, चेथी ल खजवावत हे। अब निकालत बनत न धरत बनत सांप छछूंदर कस गति होगे, राजा से एके घंऊ रंक बनगे बइहा भूतहा कस मति होगे । मोदी फोरीस अइसे बम न बाजीस न लागीस सबके निकलगे एके दरी दम। चाय वाला कोन अऊ अर्थशास्त्री कोन समझ में  नइ आवत हे, अर्थशास्त्री चाय पीयत बइठे हे अऊ चाय वाला सरजिकल स्ट्राइक लगावत हे। महेन्द्र देवांगन माटी ✍� 😃😃😃😃😃😃😃Ⓜ🙏�🙏

माटी के दीया

माटी के दीया जलावव ************ माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव । चाइना माल के चक्कर छोड़ो, स्वदेसी ल अपनावव। माटी के दीया  ........................ बइठे हे कुमहारिन दाई, देखत हाबे रसता । राखे हाबे माटी के दीया, बेचत सस्ता सस्ता । का सोंचत हस ले ले संगी, घर घर  में बगरावव। माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव  झालर मालर छोड़ो संगी, दीया ल बगरावव। माटी के दीया जलाके संगी, लछमी दाई ल बलावव । घर में आही सुख सांति, जुर मिल तिहार मनावव। माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव । चाइना माल से होवत हाबे, जन धन सबमे हानि । हमर देस में बिकरी करके, करत हे मनमानी । आंख देखावत हमला ओहा, वोला तुम दुतकारव माटी के दीया जलावव संगी,माटी के दीया जलावव । आवत हे देवारी तिहार, घर कुरिया ल लीपावव । गली खोर ल साफ  रखो, स्वच्छता के संदेश लावव। ओदरत हाबे घर कुरिया ह, सब ल तुम छबनावव। माटी के दीया जलावव संगी, अंधियारी ल भगावव । रचना महेन्द्र देवांगन माटी

वाह रे परदेसिया

Image
वाह रे परदेसिया ***************** वाह रे परदेसिया हो, चाल चलेव तुमन बढ़िया बढ़िया । छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । हमर राज में आके तुमन, हमी ल आंखी देखायेव। हमरे माटी में कब्जा करके, हमी ल तुमन भगायेव भाई भाई में झगरा करवा के, मजा लेवत हो बढ़िया छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । हमरे थारी में खाके तुमन, उही में छेदा कर देव। सबला इंहा बुद्धु बनाके, अपन जेब ल भर लेव। हमला देके फोकला फोकला, खावत हो बढ़िया बढ़िया । छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । अब तो जागे ल परही संगी, तनिक होस में आवव। अइसन परदेसी मन ल, मार के तुम भगावव। अपन हक ल लेहे खातिर, झन बनव तुम कोढिया छत्तीसगढिया सबले बढ़िया , झन होवव खड़िया खड़िया । वाह रे परदेसिया हो, चाल चलेव तुमन बढ़िया बढ़िया । छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । जय छत्तीसगढ़ जय छत्तीसगढ़ी महेन्द्र देवांगन "माटी"✍ 💐💐💐💐💐💐Ⓜ🙏🙏

रावण मरा नहीं

रावण मरा नहीं ****************** रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया । इसीलिए तो आज, घर घर फिर जाग गया । कल तक मरने का नाटक किया , सबके ऊपर त्राटक किया। दुनिया को धोखा देकर, अहं उसका जाग गया । रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया ........... फिर से आज सीता का अपहरण किया है, मासूम बच्चियों को भयंकर त्रास दिया है । लूट हत्या बलात्कार, उसका खेल हो गया । रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया............. गाँव गली में आतंक मचा रहा है, नशे का पूरा जाल बिछा रहा है । दारु गांजा हफीम का सबको आदी बना गया । रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया.............. महेन्द्र देवांगन माटी (बोरसी -- राजिम वाले ) 9993243141

देवारी तिहार आवत हे

Image
देवारी तिहार आवत हे ***************** फुरुर फुरुर हावा चलत,जाड़ ह जनावत हे । दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे । माटी के कोठ ल, दाई ह छबनावत हे। ओदरे हे चंऊरा ह, बबा ह बनावत हे। भर भर के गाड़ा में, माटी ल डोहारत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। फुट गेहे भांड़ी ह, कका ह उठावत हे। कोरई के राईचर ल, घेरी बेरी बनावत हे। बखरी बारी ल, रोज के सिरजावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। गाँव गली कोलकी ल, रोज के बहारत हे। दऊंड़ दऊंड़ के बोरिंग ले, पानी डोहारत हे। गोबर में अंगना ह, रोज के लीपावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। नावा नावा कपड़ा ल, नोनी बाबू सिलावत हे। हांस हांस के अपन , संगवारी ल देखावत हे। आनी बानी के सबोझन, फटाका लेवावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। अपन अपन घर ल,सब कोई लीपावत हे। कपाट बेड़ी मन में, रंग ल लगावत हे। माटी के दीया ल , घर घर जलावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। *********************** रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.c