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बादर ह बदरावत हे

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बादर ह बदरावत हे ***************** बरसा के दिन आगे संगी ,बादर ह बदरावत हे सुरूर सुरूर हावा चलत,पेड़ सबो लहरावत हे पुचुक पुचुक मेचका कूदे, पानी में टररावत हे उल्हा उल्हा पाना देखके, कोयली गाना गावत हे गडगड गडगड बादर गरजे,बछरू ह मेछरावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे। नांगर धर के सोनू कका, खेत डाहर जावत हे गाडा बइला फांद के सरवन , खातू माटी लावत हे बड़े बिहनिया ललित भैया,खातू ल बगरावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे। टपटप टपटप पानी गिरे, रेला घलो बोहावत हे कूद कूद के लइका नाचे,ओरछा में नहावत हे चिखला माटी में खेलत हाबे, दाई ह खिसयावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी 8602407353 *********************

जय शेरों वाली माँ

"जय शेरों वाली माँ " ****************** जय शेरों वाली जय खप्पर वाली शरण में आये हन तोर------2 बीच सभा में गावत हों माता-2,रख लेबे लाजे मोर जय शेरों वाली --------------------- कोई काली कोई चंडी,कोई दुरगा कहिथे जब जब संकट आथे माता, तोर चरन ल परथे सबके संकट हरने वाली -2,हर ले संकट मोर जय शेरों वाली --------------------------------- जब जब अत्याचार बढ़ीस हे,तेंहा रूप अवतारे करीस पुकार सब रिसि मुनि मन,ओकर संकट तारे सबके संकट तारने वाली-2,तार दे संकट मोर जय शेरों वाली ------------------------------------ जगमग जगमग तोर रूप हे,सबके मन ल मोहिथे दरश करे बर तोरे माता, सब झन रददा जोहिथे महूं आये हों तोर दरश बर,दरशन दे दे तोर जय शेरों वाली -------------------------------- बीच सभा में -------------------------------------।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी

मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में

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गीत ****** मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में, किसम किसम के फूल -2 हीरा कस हे इंहा के माटी-2,चंदन कस हे धूल मोर छत्तीसगढ़ के ---------------------------------। बड़े बड़े ज्ञानी मुनि मन,एकर कोरा में आइस -2 इही माटी में खेलकूद के, जीवन सफल बनाइस करीस तपस्या कतको झन ह-2,कैसे जाबो भूल मोर छत्तीसगढ़ के ---------------------------------। इंहा के बेटा बड़े सबूत हे,मेहनत करके खाथे-2 धरती दाई के सेवा करके, धान ल उपजाथे हरियर हरियर देख के सबके-2,मन हर जाथे झूले मोर छत्तीसगढ़ के कोरा ------------------------। बड़ सीधवा हे इंहा के मनखे, लड़ई झगरा नइ जाने जाति पांति के भेद ल संगी, कभू इंहा नइ माने सबके आदर मान करत हे-2,रखते इज्जत कूल मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में -----------------------। छत्तीसगढ़ के कोरा में संगी,छत्तीसों भाषा हाबे इंहा के जइसे भाखा बोली, अऊ कहां तै पाबे किसम किसम के भासा बोली-2,सब मिल जाथे घूल मोर छत्तीसगढ़ के कोरा ---------------------------। हीरा कस हे-------------------------------------------।। रचना  महेन्द्र देवांगन माटी 

पुरवाई चले

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  पुरवाई चले ************** सरर सरर पुरवाई चले मन ह मोर डोले झुमरत हाबे डारा पाना कोयली बाग में बोले । संऊधी संऊधी माटी के खुसबू सबके मन ल भाये होत मुंदरहा कूकरा बासत बछरु घलो मेछराये। चहकत हाबे चिरई चिरगुन मुंहू ल अपन खोले सरर सरर पुरवाई चले मन ह मोर डोले । **************** रचना प्रिया देवांगन पंडरिया जिला - कबीरधाम  (छ ग )

गीत - सबके भाग ह जागे

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गीत -सबके भाग ह जागे ********************* रिमझिम रिमझिम गिरे पानी - 2, बरसा के दिन आगे नांगर बइला खेती किसानी, सबके भाग ह जागे -2 बड़े बिहनिया मंगलू कका, नांगर ल सिरजाये रापा कुदारी धरके चैतु , खेत में अपन जाये बासी धरके चलीस बिसाखा-2, अब्बड़ सुघ्घर लागे नांगर बइला खेती  ............................. सरसर सरसर हावा चले , पेड़ घलो लहराये टरर टरर मेचका करे, कोयली गाना गाये फरर फरर उड़े फांफा-2, बतर कीरी आगे नांगर बइला खेती ...............................    कूकरा बासत उठ के पकलू, खातू ल बगराये हरियर हरियर खेत दिखे अब, धान पान लहराये नवा नवेली दुल्हन सहीं -2, खेतखार अब लागे नांगर बइला खेती  ......................... रिमझिम रिमझिम गिरे............................ ******************** रचना महेन्द्र देवांगन माटी

गीत - मय किसान के बेटा हरंव

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गीत - मय किसान के बेटा हरंव ************************** मय किसान के बेटा हरंव-2,जांगर टोर कमाथंव सुत उठ के बड़े बिहनिया, माथ ल मय नवाथंव2 धरती दाई के सेवा खातिर, अपन पसीना बोहाथंव दाई ल सजाये खातिर, रंग रंग फूल लगाथंव करथों मेहनत रातदिन मय-2, पथरा में पानी ओगराथंव मय किसान के बेटा ............................... हरियर हरियर धान पान ह , खेत में जब लहराथे धरती के सिंगार ल देख के,  सबके मन झूम जाथे अन्न पानी के पूरती करथंव-2, खेत में सोना उगाथंव मय किसान के बेटा ............................... मेहनत हमर करम संगी, मेहनत करके जीथन खून पसीना एके करके, पानी पसीया पीथन नइ राहन हम महल अटारी-2, माटी में घर बनाथंव मय किसान के बेटा .............................. **************** रचना महेन्द्र देवांगन माटी

रुख ल झन काटो

रुख ल झन काटो ***************** रुख राई ल झन काटो,जिनगी के अधार हरे एकर बिना जीव जंतु, अऊ पुरखा हमर नइ तरे इही पेड़ ह फल देथे, जेला सब झन खाथन मिलथे बिटामिन सरीर ल, जिनगी के मजा पाथन सुक्खा लकड़ी बीने बर , जंगल झाड़ी जाथन थक जाथन जब रेंगत रेंगत, छांव में सुरताथन सबो पेड़ ह कटा जाही त, कहां ले छांव पाहू बढ़ जाही परदूसन ह, कहां ले फल फूल खाहू चिरई चिरगुन जीव जंतु मन, पेड़ में घर बनाथे थके हारे घूम के आथे,  पेड़ में सब सुरताथे झन उजारो एकर घर ल, अपन मितान बनावो सबके जीव बचाये खातिर, एक एक पेड़ लगावो ******************** महेन्द्र देवांगन माटी