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दीया जलाबोन

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बेरा ह बुड़गे चल दीया जलाबोन करबो पूजा अऊ आरती ल गाबोन बड़े मन के सब आसीरवाद पाबोन सुख शांति अऊ समरिद्धी ल लाबोन संझा बेरा के जय जोहार महेन्द्र देवांगन माटी

सुबह की हवा

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सुबह की हवा सबको भाये खिले फूल भौंरा गुनगुनाये पेड़ॊं पर चिड़िया चहचहाये बछड़ा देख गैया रंभाये । काका बाबा घुमने जाये कसरत कर सेहत बनाये बच्चे भी तो दौड़ लगाये सुबह की हवा सबको भाये।     महेन्द्र देवांगन माटी

गरमी के दोहे

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गरमी के दोहे ***************** तात तात हावा चले, पसीना ह बोहाय । कतको पानी पी तभो, टोंटा बहुत सुखाय।। गरम गरम लू चलत हे, गोंदली ल तैं राख । मुंहूं कान ल बांध ले , कर जतन तहूं लाख ।। चट चट भुइयां जरत हे, तीपत हे मुड़कान। छांव नइहे रसता में, लगत हे हलाकान ।। खटर खटर पंखा चले, नींद घलो नइ आत । मच्छर ह चाबत हाबे, कइसे कटही रात ।। साग पान मिठाय नहीं, बासी बने सुहाय । चटनी पीस खाले तैं, आमा बने लुभाय ।। महेन्द्र देवांगन माटी

मजदूर

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मजदूर ************** पसीना ओगार के मेंहनत करथे दुनिया ल सिरजाथे रात दिन मजदूरी करथे तब मजदूर कहाथे । नइ खाये वो इडली डोसा चटनी बासी खाथे धरती दाई ल हरियर करथे माटी के गुन गाथे । घाम पियास ल सहिके संगी जांगर टोर कमाथे खून पसीना एक करथे तब रोजी रोटी पाथे । बिना मजदूर के काम नइ चले दुनिया ह रुक जाही जब तक मेंहनत नइ करही त कहां ले विकास हो पाही । रचना महेन्द्र देवांगन माटी शिक्षक ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ. ग. ) 8602407353 matikerachana.blogspot.com

तिरंगा

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सबसे ऊंचा झंडा आज रायपुर में फहराइस छत्तीसगढ़ के नाम ह दुनिया में छा गइस 82 मीटर ऊंचा हे तेलीबांधा तलाब में लहर लहर लहराये तिरंगा छत्तीसगढ़ के आकाश में 🇧🇴जय हिन्द - जय छत्तीसगढ़🇧🇴 महेन्द्र देवांगन माटी

अकती या अक्छय तृतीया के तिहार

अकती के तिहार ************************* छत्तीसगढ़ में अकती या अक्छय तृतीया तिहार के बहुत महत्व हे । ये दिन ल बहुत ही सुभ दिन माने गेहे। ये दिन कोई भी काम करबे ओकर बहुत ही लाभ या पून्य मिलथे। अइसे वेद पुरान में बताय गेहे। कब मनाथे - अकती के तिहार ल बैसाख महीना के अंजोरी पाख के तीसरा दिन मनाय जाथे। एला अक्छय तृतीया या अक्खा तीज कहे जाथे। अक्छय के मतलब ही होथे कि जो भी सुभ काम करबे ओकर कभू छय नइ होये। एकरे सेती एला अक्छय तृतीया कहे जाथे। परसुराम के अवतार - परसुराम के अवतार भी इही दिन होय रिहिसे एकरे पाय आज के दिन ल परसुराम जयंती के रुप में भी मनाथे ।  आज के दिन भगवान बिसनु अऊ लछमी के भी पूजा करे जाथे। एकर पूजा करे से बिसेस लाभ मिलथे दुवापर युग के समापन - पौरानिक कथा के अनुसार आज के दिन ही महाभारत युद्ध के अंत होइसे अऊ दुवापर युग के समापन भी होइसे। ये सब कारन से अकती के बहुत महत्व हे । खेती किसानी के सुरुवात - छत्तीसगढ़ ह किरसी परधान राज हरे। इंहा के जीविको पारजन ह खेती किसानी से चलथे। अकती के दिन किसान मन ह ठाकुर देव के पूजा पाठ करथे अऊ धान के बोवाई ल भी एक परतीक के रुप में करथ

हेलमेट

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हेलमेट ****************** जगा जगा पुलिस वाला, फटफटी ल रोकत हे नइ लगाहे हेलमेट वोला, भारी जुरमाना ठोंकत हे पुलिस वाला ल देखके, रसता बदल के जावत हे मेंड़ पार पैडगरी में, फटफटी ल कूदावत हे पुलिस मन ल मजा होगे, रोज कमई आवत हे जेब ह गरम होगे, आनी बानी के खावत हे जगा जगा हेलमेट ह, भारी बेंचावत हे दुकानदार मन खुस हे, एक के दू लगावत हे रचना महेन्द्र देवांगन माटी