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आज के नेता

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आज के नेता  ( उल्लाला छंद) नेता हावय आज के  , कौड़ी ना हे काज के । माँगय पइसा रोज के  , जेब मा धरथे बोज के ।।1।। खावत रहिथे पान ला , खजवावत हे कान ला । मुंहू दिखथे लाल जी  , करिया करिया बाल जी ।।2।। सादा सादा भेष हे , मारत अब्बड़ टेस हे । मन मा हावय पाप जी  , देखावा सब जाप जी ।।3।। माँगय सबकर वोट जी  , बाँटय सब ला नोट जी । जोड़त हावय हाथ ला , नइ छोड़व मँय साथ ला ।।4।। जाथे जीत चुनाव जी , ताहन भजिया खाव जी । नइ देखे वो गाँव ला , राखे नइ गा पाँव ला ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com उल्लाला छंद 13 + 13 = 26 मात्रा

पेड़ लगाव

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पेड़ लगाव सबझन पेड़ लगाव जी, मीठा फल ला पाव जी । जतन करव तुम रोज के, पानी डारव खोज के ।। मिलही सब ला छाँव जी, सुंदर दिखही गाँव जी । जरय नहीं तब पाँव जी, होही तुहँरे नाँव जी ।। कौंवा करही काँव जी, चिरई चिरगुन चाँव जी । पहुना आही गाँव जी, सुरताही वो छाँव जी ।। शुद्ध हवा ला पाव जी, अब्बड़ पेड़ लगाव जी । ताजा फल ला खाव जी, पहिली पेड़ लगाव जी ।। महेन्द्र देवांगन माटी      पंडरिया छत्तीसगढ़ @Mahendra Dewangan Mati

हाथी

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हाथी (उल्लाला छन्द ) हाथी आइस झूम के, जंगल पूरा घूम के । लम्बा ओकर सूँड़ हे , बड़े जान जी मूड़ हे । सूपा जइसे कान हे  , खाथे अब्बड़ पान हे । पानी पीये सूँड़ मा , तिलक लगाये मूड़ मा । हाथी आये गाँव मा , लइका देखे छाँव मा । देथे सबझन दान जी, करथे ओकर मान जी । लइका मन चिल्लात हे , बाजा घलो बजात हे । पीछू पीछू जात हे , नरियर भेला खात हे । महेन्द्र देवांगन माटी     पंडरिया Mahendra Dewangan Mati @