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Showing posts from May, 2019

सुरता

लइकापन के सुरता लइकापन के आथे  सुरता । पहिरे राहन चिरहा कुरता ।। गुल्ली डंडा अब्बड़ खेलन । भौंरा बाँटी सबझन लेवन ।। रेस टीप अउ छू छूवउला । घर घुँदिया अउ चुरी पकउला ।।  खो खो फुगड़ी खेल कबड्डी । लड़ई झगरा मिट्ठी खड्डी ।। आमा अमली तेंदू खावन । सरी मँझनिया घुमेल जावन ।। बइला गाड़ी दँउरी फाँदन । उलान बाँटी अब्बड़ खावन ।। संझा बेरा सब सकलावन । मिल के सबझन गाना गावन ।। कथा कहानी बबा सुनाये । किसम किसम के बात बताये ।। अब तो संगी सबो नँदागे ।  मोबाइल मा सबो फँदागे ।। खुसरे हावय घर के कुरिया । बइठे सबझन धुरिहा धुरिहा ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

बिदाई

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बिदाई (सरसी छंद) जावत हावय आज छोड़ के , बेटी हा ससुरार । रोवत हावय दाई ददा ह , करके मया दुलार ।। सुन्ना परगे घर कुरिया हा , कइसे रात पहाय । सुरता करके दाई रोवय , कइसे भात खवाय ।। तोर बिना मँय कइसे राँहव ,होगे जग अँधियार । रोवत हावय दाई ददा ह , करके मया दुलार ।। मोर दुलौरिन बेटी सुघ्घर , रखबे तैंहर लाज । सेवा करबे सबझन के तैं , रखबे घर ला साज ।। काम बुता मा हाथ बँटाबे , सुखी रहय परिवार । रोवत हावय दाई ददा ह , करके मया दुलार ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati

लालू अऊ कालू

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लालू अऊ कालू (कहानी) लाल कुकुर ह बर पेड़ के छांव में बइठे राहे।ओतके बेरा एक ठन करिया कुकुर ह लुडुंग - लाडंग पुछी ल हलावत आवत रिहिस। ओला देख के लाल कुकुर ह आवाज दिस। ऐ कालू कहां जाथस ? आ थोकिन बइठ ले ताहन जाबे। ओकर आवाज ल सुन के कालू ह तीर में आइस अऊ कहिथे --- काये यार लालू काबर बलाथस। लालू ह कहिथे ----- आ थोकिन बइठ ले कहिथों यार। कहां लकर - धकर जात हस। कोनो पारटी - वारटी हे का ? कालू ह कहिथे  ---- कहां के पारटी - वारटी यार आजकाल कोनो पूछत नइहे। जिंहा जाबे तिंहा साले मन धुरिया ले भगा देथे। ते बता तोर का हाल - चाल हे। तेहा तो बने चिक्कन - चिक्कन दिखत हस। लालू कहिथे ---- मेंहा तो बने हँव , फेर तोला देखथों दिनो दिन कइसे सुखावत जात हस। बने खात - पियत नइ हस का यार। का चिंता धर लेहे तोला। फोकट में चांउर दार मिलत तभो ले संसो करत हस। डपट के खा अऊ गोल्लर बरोबर घूम साले ल। त कालू कहिथे ----- अरे यार कहां ले फोकट के चांउर दार  मिलत हे। मोर तो साले ल राशन कारड नइ बने हे। लालू कहिथे ---- त राशन कारड काबर नइ बनवाय हस रे लेडगा। कालू ------ अरे यार मेंहा सरपंच अऊ सचिव के कई घंऊ चक्कर लगा ड

आमा खाव मजा पाव

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आमा खाव मजा पाव ******* गरमी के मौसम आते साठ सब झन ला आमा के सुरता आथे।लइका मन ह सरी मंझनिया आमा टोरे ला जाथे , अऊ घर में आ के नून - मिरचा संग खाथे।लइका मन ला आमा चोरा के खाय बर बहुत मजा आथे।मंझनिया होथे तहान आमा बगीचा  मा आमा चोराय ला जाथे। आमा एक प्रकार के रसीला फल होथे।ऐला भारत में फल के राजा बोले जाथे।आमा ला अंग्रेजी में मैंगो कहिथे एकर वैज्ञानिक नाम - मेंगीफेरा हे। आमा के किसम ---- आमा भी कई किसम के होथे अउ सबके सुवाद अलग अलग होथे। जइसे - तोतापरी आमा , सुंदरी आमा , लंगडा आमा , राजापुरी आमा , पैरी अउ बंबइया आमा । फल के राजा  --- आमा ला फल के राजा कहे जाथे । आमा ला फल के राजा  काबर कहिथे जबकि सबो फल हा स्वास्थ्य वर्धक होथे । दरअसल ,भारतीय आमा अपन स्वाद के लिए पूरा दूनिया में मशहूर हे।भारत में मुख्य रूप से 12 किसम के आमा होथे । आमा के उपयोग  ----- आमा के उपयोग   सिरिफ फल के तौर में नही बल्कि  सब्जी , चटनी , पना , जूस , कैंडी , अचार , खटाई, शेक , अमावट (आमा पापड़) अऊ बहुत से खाये - पीये के चीज के सुवाद बढाये बर करे जाथे। आमा के फायदा ------ आमा के बहुत से फायदा भी हे

पुतरी पुतरा के बिहाव

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पुतरी पुतरा के बिहाव पुतरी पुतरा के बिहाव होवत हे , आशीष दे बर आहू जी । भेजत हाँवव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।। छाये हावय मड़वा डारा , बाजा अब्बड़ बाजत हे । छोटे बड़े सबो लइका मन , कूद कूद के नाचत हे ।। तँहू मन हा आके सुघ्घर , भड़ौनी गीत ल गाहू जी । भेजत हावँव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।। तेल हरदी हा चढ़त हावय , मँऊर घलो सौंपावत हे । बरा सोंहारी पपची लाड़ू , सेव बूंदी बनावत हे ।। बइठे हावय पंगत में सब , माई पिल्ला सब आहू जी । भेजत हावँव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।। आये हावय बरतिया मन हा , मेछा ला अटियावत हे । खड़े हावय बर चौंरा मा , मिल के सब परघावत हे ।। नेंग जोग हा पूरा होगे , टीकावन मा आहू जी । भेजत हावँव नेवता सब ला , लाड़ू खा के जाहू जी ।। (अक्षय तृतीया विशेष) रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ priyadewangan1997@gmail.com