Posts

Showing posts from January, 2019

पायल बाजे

Image
मुड़ मा गघरी बोहे हावय , कमर अबड़ जी डोले । पायल रुनझुन बाजत हावय , छमछम छमछम बोले ।। नाक नथनिया सुघ्घर लागय , माँग म टीका डारे । मुड़ मा खोपा डारे गोरी , आँखी हे कजरारे ।। मुचमुच मुचमुच हाँसय गोरी , भेद सबो ला खोले । पायल रुनझुन बाजत हावय , छमछम छमछम बोले ।। सज संवर के निकले गोरी , चूड़ी ला खनकाये । लाली लाली होंठ दिखत हे , अब्बड़ वो शरमाये ।। हाथ कमर मा डारे गोरी , रेंगत हौले हौले । पायल रुनझुन बाजत हावय , छमछम छमछम बोले ।। (सार छंद)  महेन्द्र देवांगन माटी  पंडरिया  (कबीरधाम)  छत्तीसगढ़  8602407353 Mahendra Dewangan Mati 

धुंध

Image
धुंध ( कोहरा)  दोहा छंद  आया मौसम ठंड का , धुंध बहुत हैं छाय । लगे काँपने देंह भी  , अब तो धूप सुहाय ।। छाया देखो धुंध है , राह नजर ना आय । गाड़ी भी तो रूक गई , कैसे आगे जाय ।। देखी गहरी धुंध तो,  ठिठक गये सब लोग । कसरत कर लो रोज ही , भगे देंह से रोग ।। दौड़ लगाओ नित्य प्रति,  धुंध रहे या धूप । बीमारी सब दूर हों  , पीयो ताजा सूप ।। महेन्द्र देवांगन माटी  पंडरिया छत्तीसगढ़  8602407353 Mahendra Dewangan Mati 

मदारी

Image
मदारी (प्रिया देवांगन)  बंदर आया बंदर आया । एक मदारी उसको लाया ।। बंदर को वह बहुत नचाया । बच्चों ने ताली बजाया ।। नया नया है खेल दिखाया । बच्चों को वह खूब हँसाया ।। रस्सी पर चलकर दिखाया । अपने साथ बंदरिया लाया ।। नया नया करतब सिखाया । बच्चों को है खूब भाया ।। प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया कबीरधाम  छत्तीसगढ़  priyadewangan1997@giml.com 

तिरंगा हम फहरायेंगे

Image
तिरंगा हम फहरायेंगे ( महेन्द्र देवांगन "माटी") तीन रंग का प्यारा झंडा  , आज सभी फहरायेंगे । कभी नहीं हम झुकने देंगे , आगे बढ़ते जायेंगे ।। कोई दुश्मन आँख उठाये , उनसे ना घबरायेंगे । चाहे कुछ हो जाये फिर भी , हम तो इसे बचायेंगे ।। भारत माँ के बेटे हैं हम , गीत प्यार के गायेंगे । कभी नहीं हम झुकने देंगे , आगे बढ़ते जायेंगे ।। आँधी आये तूफाँ आये , रूक नहीं हम पायेंगे । कफन बाँध कर सीना ताने , वंदे मातरं गायेंगे ।। अपना है ये प्यारा झंडा , चोटी पर लहरायेंगे । कभी नहीं हम झुकने देंगे  , आगे बढ़ते जायेंगे ।। भारत माता सबकी माता  , सुंदर इसे बनायेंगे । भेदभाव हम नहीं करेंगे  , सबको हम अपनायेंगे ।। शांति प्रेम से आगे आकर  , नये तराने गायेंगे । कभी नहीं हम झुकने देंगे  , आगे बढ़ते जायेंगे ।। तीन रंग का प्यारा झंडा  , आज सभी फहरायेंगे । कभी नहीं हम झुकने देंगे  , आगे बढ़ते जायेंगे ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati

पूजा

Image
पूजा ( लघुकथा) आज मंदिर में बहुत भीड़ थी । सभी लोग केला , संतरे, अंगूर, सेव, चूड़ी, फीता , चुनरी और न जाने क्या क्या सामान माता जी को चढ़ा रहे थे । पुजारी जल्दी जल्दी सबके सामान को लेकर रख रहे थे और प्रसाद दे रहे थे । मंदिर के बाहर कुछ भिखारी बैठे हुये भीख मांग रहे थे । मंदिर में आने वाले दर्शनार्थी नाक भौं सिकुड़ते हुए आगे बढ़ जाते थे । तभी एक चमचमाती हुई कार से एक महिला आई । वह भी माता जी को चढ़ाने के लिए फल , फूल और सामान लाई हुई थी । मंदिर के पास जाते ही भिखारी अपने हाथ फैलाने लगे । वह महिला ठिठक गई और कुछ सोचने लगी । फिर उसके बाद वह जितनी भी सामान और फल फूल लाई थी सबको बाँट दी , फिर मंदिर की ओर आगे बढ गई । उसके साथ आई उसकी सहेली बोली --- आप तो सभी चीजों को भिखारियों में बाँट दी अब मंदिर में क्या चढ़ायेगी ? वह बोली -- मंदिर में तो सभी लोग चढ़ा हैं । वैसे भी माता जी उसे खायेगी नहीं । मैं तो यहाँ बैठे हुए साक्षात देवियों को खिला दी । मेरा मन संतुष्ट हो गया । अब माता जी को सिर्फ प्रणाम कर लूंगी । सभी लोग आश्चर्य से उस महिला की ओर देख रहे थे , और मन ही मन तारीफ भी कर रहे थे

नेताजी

Image
नेताजी  देश हमर आजाद करे बर , नेताजी हा आइस । वंदे मातरम जय हिन्द के  , नारा खूब लगाइस ।। तुमन लहू ला देवव मिल के , आजादी मँय देहूँ । मार मार के गोरा मन ला , बदला मँय हा लेहूँ ।। गाँव शहर मा घूम घूम के , सब में जोश जगाइस। आजादी ला पाये खातिर  , गीत नवा सब गाइस ।। वंदे मातरम  नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के हार्दिक शुभकामना अउ बधाई  महेन्द्र देवांगन माटी  पंडरिया छत्तीसगढ़  8602407353 Mahendra Dewangan Mati 

योग करो

Image
योग करो ************ योग करो सब यो ग करो। सुबह शाम योग करो।। योग करो सेहत बनाओ । ताजा ताजा फल को खाओ।। योग करो सब योग करो। सुबह उठ कर दौड़ लगाओ।। शुद्ध ताजा हवा को पाओ।। जूस पीओ और फल फूल खाओ। शरीर को सब स्वस्थ बनाओ।। योग करो सब योग करो। सुबह शाम सब योग करो।। प्रिया देवांगन " प्रियू" पंडरिया  जिला - कबीरधाम  (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com

गऊ माता ला बचाव

Image
गऊ माता ला बचाव              गाय ह एक पालतू जानवर हरे । येला हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई अऊ संसार में जतका धरम हे , सब धरम के आदमी मन येकर पालन पोसन करथे । काबर कि गाय से बहुत आमदनी भी  होथे । गाय ही एक अइसे जानवर हरे जेहा जीयत में तो काम आथे,  अऊ मरे के बाद भी एकर चमड़ा अऊ हड्डी तक ह काम आथे । हर प्रकार  के उपयोगी होय के कारन हिन्दू धरम में येला गऊ माता कहे जाथे । गाय ल संसार के सबो देश में पाले जाथे । भोजन --- गाय ह शुद्ध  शाकाहारी हरे। एहा घास,भूसा, पैरा, अऊ पेड़ पऊधा के पत्ती ल खाथे । नस्ल --- भारत में गाय के 30 प्रकार के नस्ल पाय जाथे । जइसे -- देसी, सिंधी, साहिवाल, गिर, देवनी,  हरियानवी आदि । सब नस्ल के गाय ह अलग अलग मात्रा में दूध देथे । गाय के दूध ह बहुत उपयोगी अऊ गुनकारी होथे ।एहा कई प्रकार  के बीमारी से बचत करथे ।               गाय के दूध बेचे से बहुत आमदनी होथे । गाय के दूध से दही, मही, मक्खन, घीव, मिठाई आदि बनाय जाथे । खेती के काम ---- गाय के पिला ल बछरु कहे जाथे । बछरु ह बड़े होके बइला बनथे । बइला ह खेती किसानी के काम आथे । हमर देस ह कृषि प्रधान  देश

गीतिका छंद

Image
गीतिका छंद 1 मान ले तैं बात संगी , झूठ कहना छोड़ दे । नाम होही तोर जग मा , पाप ले मुँह मोड़ दे । दान कर ले रोज के तैं , दीन दुखिया जान के । मीठ बानी बोल ले तैं , आज रिश्ता मान के । ************************************** 2 ज्ञान के भंडार भर दे , शारदे माँ आज तैं । हाथ जोंड़व पाँव परके , राख मइयाँ लाज तैं । कंठ बइठो मातु मोरे , गीत गाँवव राग मा । होय किरपा तोर माता,  मोर सुघ्घर भाग मा । तोर किरपा होय जे पर , भाग वोकर जाग थे । बाढ़ थे बल बुद्धि वोकर , गोठ बढ़िया लाग थे । बोल लेथे कोंदा मन हा , अंधरा सब देख थे । तोर किरपा होय माता  , पाँव बिन सब रेंग थे । *************************************** 3 योग ला तैं रोज कर ले , भाग ही सब रोग हा । जाग तैंहा आज संगी , जाग ही सब लोग हा । देह रइही तोर सुघ्घर , बात ला तैं मान ले । रोग राई दूर होही , सार येला जान ले । ************************************ 4 जाड़ लागय जोर से जी , ओढ सेटर शाल ला । ताप आगी बइठ के तैं , सेक दूनो गाल ला । बाँध ले तैं कान मुँह ला , हवा अब्बड़ आत हे । बनत हावय गरम भजिया , पेट भर सब खात हे । ********

छन्न पकैया

छन्न पकैया छन्न पकैया छन्न पकैया,  आया नया जमाना । बात नहीं अब माने बच्चा , दिनभर गाये गाना ।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , जूता पहने बाटा । पैर नहीं छूते हैं अब तो , केवल करते टाटा ।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , घूमे बनकर हीरो । धूम धड़ाका करते रहते ,  पढ़ने में है जीरो ।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , बात करे वह चोखा । मीठी मीठी बातें करके  , देते सबको धोखा ।। छन्न पकैया छन्न पकैया  , राज बहुत है गहरा । छूप छूप कर बातें करते , देते रहते पहरा ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353

मकर संक्रांति मनाबो

Image
मकर संक्रांति तिल गुड़ के लाड़ू ला , मया बाँध के खाबो । आवव संगी जुर मिल के , मकर संक्रांति मनाबो ।। दक्षिण में हे सूरज हा , उत्तर में  अब जाही । पूस के जाड़ा अब्बड़ हाबे , वहू अब भगाही ।। आनी बानी रंग रंग के,  पतंग घलो उड़ाबो । आवव संगी जुर मिल के , मकर संक्रांति मनाबो ।। सुत उठ के बिहनिया ले , नदियाँ नहाय बर जाबो । दीन दुखी ला दान करके , देवता दर्शन पाबो ।। मकर रेखा में जाही सूरज  , दिन हा बाढ़त जाही । आवत हावय पूस पुन्नी हा , छेरछेरा घलो ह आही ।। तिल गुड़ के बंधना कस , सबो समाज बंधाबो । आवव संगी जुर मिल के , मकर संक्रांति मनाबो ।। महेन्द्र देवांगन माटी ( बोरसी - राजिम) 8602407353 Mahendra Dewangan Mati