Posts

सावन झूला

Image
सावन झूला सावन महीना आ गे संगी , चलव झूला झुलबो । सखी सहेली सबो संगी,  एके जगा मा मिलबो । अब्बड़ मजा आही बहिनी , जब झूला मा झुलबो । जाबो अमरइया के तीर मा , एके जगा सब मिलबो । मंदिर जाबो सबो झन हा , शिव भोला ल मनाबो । दूध दही अउ नरियर भेला, मन श्रद्धा से चढाबो । औघड़ दानी शिव भोला हे , सब ला देथे वरदान । नियम पूर्वक श्रद्धा से,  करथे जे ओकर  मान । सावन के सोमवारी मा , रहिबो हम उपवास । जल चढाबो रोज के, पूरा करही आस । रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ priyadewangan1997@gmail.com

फोकट छाप

Image
*फोकट छाप* फोकट मा चाँउर मिलत , फोकट मा नून । फोकट मा मोबाइल मिलत , आनी बानी गोठ सून । गोल्लर कस घूमत मंगलू,  खा के मेछरावत हे । काम बूता करना नइहे, मेछा ला अटियावत हे । धरे हे मोबाइल ला , खावत हे मिक्चर । यू टयूब मा देखत हे , रंग रंग के पिक्चर । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati

भाँटा मुरई

Image
भाँटा मुरई आज राँधे हे घर में,  भाँटा मुरई । लकर धकर में होगे, अधकुचरा चुरई । दाई हा चुप हे , होगे ददा के चिल्लई । छोटकी हा सुसकत हे , होगे करलई । सटक गे बहू के,  रंग रंग के बोलई । कुरिया में खुसर के,  होगे रोवई । भुलागे लइका ला , पीयाय बर दवई । मीठ मीठ बोल के, "माटी" के मनई । जाना हे जल्दी,  बाबू ला गंवई । पेट नइ भरीस,  आज के खवई । आज रांधे हे घर में,  भाँटा मुरई  महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

बरवै छन्द

Image
बरवै छन्द (1) जंगल झाड़ी कटगे , लागय घाम । छँइहा के तो संगी , नइहे नाम । पेड़ लगावव भैया  , मिलही छाँव । हरियर दिखही भुँइया  , होही नाँव । (2) पानी लानव संगी , बढ़िया छान । गंदा ला झन पीयो , लेव उबाल । मटकी राखव बढ़िया,  वोला ढाँक । घेरी बेरी  सब झन  , देखव झाँक । (3) तुलसी पूजा कर ले , पानी डार । आशीरवाद ले ले , दीया  बार । तुलसी पत्ती खा ले , बिहना शाम । खाँसी जुड़ मिट जाथे,  मिलय अराम । (4) करिया करिया हाबे , नयना तोर । सुध बुध ला हर लेथे , गोरी मोर । देखत रहिथों सपना,  मँय दिन रात । एक बार तैं आ जा ,  कर ले बात । (5) फेंकव झन गा पानी, सबो बचाव । भर ले खाली मटकी,  झन बोहाव । पानी बिना अधूरा,  हे संसार । जुड़े हवय जिनगी के,  जम्मो तार । (6) बोंवय बखरी बारी   , लामे नार । गरुवा गाय बचाये,  घेरे तार । निकले भांटा सेमी , बेंच बजार । मन मा खुशी समाये , पाय हजार । (7) हावय औघड़ दानी , भोले नाथ । करथे जेहा पूजा,  रहिथे साथ । जोत जला ले तैंहा , दिल से मान । माँगे ले जी  देथे, सब वरदान । (8) छा गे बादर संगी , अब घनघोर । चमके चमचम बिजुरी , नाचय मोर । गिरय झ

रथयात्रा

Image
रथयात्रा भीड़ लगे हे भारी संगी , चलो दरश बर जाबोन । जगन्नाथ स्वामी जी के, दर्शन करके आबोन । रथ मा बइठे हावय प्रभु जी,  मने मन मुस्कावत हे । घर ले निकल के लोगन ला , दर्शन दे बर आवत हे । रथ ला खींच के हमू मन हा , भाग अपन सहराबोन । गजामूंग अउ चना दार के,  परसाद सबझन पाबोन । भीड़ लगे हे भारी संगी , चलो दरश बर जाबोन । जगन्नाथ स्वामी जी के,  दर्शन करके आबोन । जय जगन्नाथ स्वामी *रथयात्रा के* *गाड़ा गाड़ा* *बधाई अउ* *शुभकामना* महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कबीरधाम ) छत्तीसगढ़ 8602407353

Happy Doctor's day

Image
लइका अब्बड़ पानी खेलथे, सुरुर सुरुर तब नाक करथे । जुड़ खाँसी सरदी हा धरथे, माथ पीरा मा सबझन मरथे । गरम गरम जब देंहें लागथे , रात रात भर दाई जागथे । मूड़ कान अउ पेट पिराथे, तब डाक्टर कर सबझन जाथे । डाक्टर आथे सूजी लगाथे, दवई टानिक के डोज बताथे । सब पीरा हा फुर्र  हो जाथे, खुशी खुशी मा समय बिताथे । Happy Doctor's day . महेन्द्र देवांगन माटी          पंडरिया Dist -- Kabirdham Chhattisgarh

आओ पेड़ लगायें

Image
आओ पेड़ लगायें चलो चलें एक पेड़ लगायें,  धरती में खुशहाली लायें । पेड़ लगाकर घेरा बनायें,  गाय बकरी से उसे बचायें । सुबह शाम हम पानी डालें,  सुरक्षा का उपाय अपना लें । धीरे धीरे पेड़ बढ़ेंगे,  मैना गिलहरी उस पर चढेंगे । सबको मिलेगी शीतल छाँव,  सुंदर दिखेगा मेरा गाँव । फल फूल भी रोज मिलेगा,  सबका मन खुशी से खिलेगा । कभी नही इसको काटेंगे , फल फूल को रोज बाँटेंगे । हो हमारे सपने साकार,  पेड़ जीवन का है आधार । रचनाकार महेन्द्र देवांगन "माटी " पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com