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बम बम भोले

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बम बम भोले *************** हर हर बम बम भोलेनाथ के  ,  जयकारा लगावत हे । कांवर धर के कांवरिया मन , जल चढाय बर जावत हे । सावन महिना भोलेनाथ के, सब झन दरसन पावत हे । धुरिहा धुरिहा के सिव भक्त मन , दरस करे बर आवत हे । कोनों रेंगत कोनों गावत , कोनों घिसलत जावत हे । नइ रुके वो कोनों जगा अब , भले छाला पर जावत हे । आनी बानी के फल फूल अऊ , नरियर भेला चढावत हे । दूध दही अऊ चंदन रोली , जल अभिसेक करावत हे । भोलेनाथ के महिमा भारी , सबझन माथ नवावत हे । औघड़ दानी सिव भोला के, सब कोई आसीस पावत हे । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया

ऊं नमः शिवाय

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ऊं नमः शिवाय ************** जय शिव शंभु दया करो,हम तेरे शरण में आये तेरे दर को छोड़ के बाबा, और कहां हम जायें । ओम नम: शिवाय, ओम नम:शिवाय  4 देवों के तुम देव हो बाबा, महादेव कहलाये सबका संकट हरने वाला, लीला अजब रचाये। ओम नम:शिवाय ओम नम:शिवाय - 4 औघड़ दानी तू है बाबा, सबको देने वाला दीन दुखियों के सहारा है , भक्तों का रखवाला । ओम नम:शिवाय, ओम नम:शिवाय - 4 विष का प्याला पीने वाला, नीलकंठ कहलाये जो भी आये तेरे शरण में, सबको गले लगाये। ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय - 4            महेन्द्र देवांगन माटी             पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati 

बरसात

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बरसात बरसात का मौसम आया , बादल गरजे पानी लाया । झम झमाझम गिरे पानी, पानी खेले गुड़िया रानी । चम चमाचम बिजली चमके, छोटू छुप जाये फिर डरके । आसमान में काले बादल , दिख रहे हैं जैसे काजल । चुन्नू मुन्नू नाव चलाये, दादा दादी खूब चिल्लाये । दोनों पानी में भीग रहे, आक्छी आक्छी छींक रहें । टर्र टर्र मेढक चिल्लाये , पानी को फिर से बुलाये । पानी गिरे झम झमाझम, नाचे गुड़िया छम छमाछम । चारों ओर  हरियाली छाई, खेतों में फसलें लहलहाई । खुश हो गये  सभी किसान , मिट गई चिंता की सभी निशान । महेन्द्र देवांगन माटी 01/07/2017

बरसा के दिन आवत हे

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बरसा के दिन आवत हे टरर टरर मेचका गाके, बादर ल बलावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे । तरबर तरबर चांटी रेंगत, बीला ल बनावत हे । आनी बानी के कीरा मन , अब्बड़ उड़ियावत हे । बरत हाबे दीया बाती, फांफा मन झपावत हे  । घटा घनघोर छावत,  बरसा के दिन आवत हे । हावा गररा चलत हाबे, धुररा ह उड़ावत हे । बड़े बड़े डारा खांधा , टूट के फेंकावत हे  । घुड़ुर घाड़र बादर तको, मांदर कस बजावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । ठुड़गा ठुड़गा रुख राई के, पाना ह उलहावत हे । किसम किसम के भाजी पाला, नार मन लमावत हे । चढहे हाबे छानही में, खपरा ल लहुंटावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । सबो किसान ल खुसी होगे , नांगर ल सिरजावत हे । खातू माटी लाने बर , गाड़ा बइला  सजावत हे । सुत उठ के बड़े बिहनिया, खेत खार सब जावत हे । घटा घनघोर छावत  , बरसा के दिन आवत हे । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " 15/06/2017

कहां ले बसंत आही

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पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । चातर होगे बाग बगीचा, कहां आमा मऊराही। नइहे टेसू फूल पलास अब, लइका मन नइ जाने कंप्यूटर के जमाना आगे, बात कोनों नइ माने । पहिली के जमाना कस, कहां मजा अब पाही । पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । नइ दिखे अब कौवा कोयल, कहां ले वोहा कुकही ठुठवा होगे रुख राई ह, कहां ले वोहा रुकही । नइहे सुनइया कोनों राग ल, कइसे वोहा गाही। पेड़ सबो कटागे संगी , कहां ले बसंत आही । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी " पंडरिया छत्तीसगढ़

"तोर पंइयां लागंव वो"

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******************** मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर पंइयां लागंव वो 2 मोर छत्तीसगढ़ महतारी तोर चरन पखारौं वो-2 तोर कोरा में गियानी मुनी,बीर सपूत सब आइस ए माटी में माथ नवाके, जीवन सफल बनाइस चंदन जइसे माटी तोरे -2 माथे तिलक लगावव वो मोर छत्तीसगढ़ .............. रतनपुर महामाया बिराजे, डोंगरगढ़ बम्लाई बस्तर में बस्तरहीन बिराजे,संबलपुर सम्बलाई धमतरी में बिलई माता -2,सबला मेंहा मनावव वो मोर छत्तीसगढ़ ----------------------------। महानदी अरपा अऊ पैरी, तोरे पांव धोवाथे खारून सोढू शिवनाथ ह,तोर दरश बर आथे शंकनी डंकनी लहरा मारे -2,आरती तोर उतारवौ वो मोर छत्तीसगढ़ ---------------------------। सोना खान के सोना चमके, देवभोग के हीरा बैलाडीला के लोहा निकले, बनके तोरे पीरा कोरबा के तोर बिजली चमके -2,जग में अंजोर बगरावों वो मोर छत्तीसगढ़ ----------------------------------। रचना ©महेन्द्र देवांगन माटी 2017

सुप्रभात

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मुंदरहा ले उठके, कूकरा ह चिल्लावत हे बिहनिया होगे कहिके, सबला बतावत हे फूल गेहे चारो कोती ,फूलवारी में फूल माटी म खुसबू ल,गाँव भर बगरावत हे । बिहनिया के जय जोहार महेन्द्र देवांगन माटी Mahendradewanganmati ♏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹👏