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सेल्फी

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सेल्फी ************* जेला देखबे तेला सेल्फी लेवत हे अऊ फोकट के फोकट इस्माइल देवत हे । रंग रंग के पोज में फोटू ल खिंचावत हे टूरी टूरा मन एक दूसर ल देखावत हे । टूरी टूरा ल चिन्हे नइ सकस हाथ ल धरके घूमत हे चाट आइसक्रीम गुपचुप खावत कलब में जाके झूमत हे । बिगड़त हे टूरा बबा गारी देवत हे जेला देखबे तेला सेल्फी लेवत हे। कूकरी पांख सही चूंदी ल कटावत हे रोज के रोज करिया करवावत हे । आनी बानी के किरीम अऊ सेंठ लगावत हे नाक ह तो कटा गेहे अब कान ल छेदावत हे । साठ साल के बुढवा तको मेछा ल टेंवत हे जेला देखबे तेला सेल्फी लेवत हे । *********** रचना महेन्द्र देवांगन माटी

गाय अऊ कुकुर

गाय अऊ कुकुर **************** एक  दिन कक्षा में मेहा लइका मन से पूछेंव के गाँव अऊ सहर में का अंतर हे बताव ? त एक झन लइका ह कथे - गाँव  में गाय पाले जाथे अऊ कुकुर मन गली में घूमत रथे ।सहर में कुकुर पाले जाथे  अऊ गाय मन गली सड़क  में  घूमत रथे । इही अंतर हे गुरुजी । वो हा भले हंसी मजाक  में बताइस  फेर  आज  के सच्चाई  उगल के रखदीस । जइसे जइसे आदमी मन उन्नति  करत जात हे वइसे ओकर रहन सहन अऊ खान पान ह बदलत जात हे । आज आदमी ह गाय के जगा कुकुर ल पोंसे ल धर लेहे ।बड़े बड़े घर में रोज कुकुर के सेवा करत हें।जतका खरचा गाय ल पोंसे में नइहे ओकर  ले जादा खरचा कुकुर के पोंसे में हे। कुकुर ल रोज घुमाय बर लेगथे ओला नास्ता  पानी अऊ रंग रंग के खाना पीना देथे । अतका सेवा गऊ माता के करतीस त ओकर घर में दूध दही के गंगा बोहा जतीस । आज गऊ माता के बुरा हाल होगे हे।कोनो देख रेख करइया नइहे ।गाँव मन में भी चारागाह के कमी के सेती धीरे धीरे रखे बर कम करत जात हे।एकरे सेती हमर देस में दूध दही के कमी होत जात हे। अब आदमी मन ल समझाय बर परही के अच्छा नस्ल के गाय पालो अऊ सही ढंग से देखभाल करे से बहुत फायदा हे। गा

अंधविश्वास

अंधविसवास ****************** असाढ के महिना में घनघोर बादर छाय राहे ।ठंडा ठंडा हावा भी चलत राहे ।अइसने मौसम में लइका मन ल खेले में अब्बड़ मजा आथे। संझा के बेरा मैदान में सोनू, सुनील, संतोष, सरवन, देव,ललित अमन सबो संगवारी मन गेंद खेलत रिहिसे। खेलत खेलत गेंद ह जोर से फेंका जथे अऊ गडढा डाहर चल देथे । सोनू ह भागत भागत जाथे अऊ गडढा में उतर जथे ।ओ गडढा में एक ठन बड़े जान सांप रथे अऊ सोनू ल चाब देथे ।सोनू ह जोर जोर से अब्बड़ रोथे अऊ रोवत रोवत बेहोस हो जथे । सबो संगवारी मन हड़बड़ा जथे अऊ एक दूसर के मुँहू ल देखत रहिथे। सुनील ह कथे - चलो एला सब झन उठाके घर ले जाथन । त संतोष ह कथे - नही पहिली एकर बाबू ल बलाथन । देव कथे - हां पहिली एकर घर के मन ल बलाथन । सरवन कथे - में जल्दी से बलाके लानाथों ।अइसे बोलथे अऊ दउड़त दउड़त जाके ओकर बाबू ल बलाके लानथे । ओकर बाबू ह सोनू ल उठाके घर लेगीस । गाँव भर में हल्ला होगे के सोनू ल सांप चाब दीस। सब आदमी ओकर घर में सकलाय ल धर लीस । एक झन सियान ह बताइस के धमतरी के चेंदवा बइगा ह सांप काटे के पक्का ईलाज जानथे ।उही ल बलाके लानों तभे एहा बांच सकथे।नहीं ते एकर

जइसी करनी वइसी भरनी

जइसी करनी वइसी भरनी ******************* करले थोकिन सेवा संगी , कमा ले तै नाम ए जिनगी के काहे ठिकाना,  मत हो तै बदनाम माता पिता के सेवा करके,  पाले आशीरवाद सुख से बितही जिनगी ह, नइ होवस बरबाद गूरू के सेवा करबे ते, देही तोला गियान मिलही ईज्जत सब जगा,करबे जन कलियान दीन दुखिया के सेवा करके, मारग ल तै खोल तर जाही तोर जीवन ह , राम राम  तै बोल हाय हाय करत हस पइसा खातिर, काम तोर नइ आये मर जाबे त खजाना ह,संग म तोर नइ जाये जस कमा ले सेवा करके, उही ह काम आही नाम तोर रही जाही अऊ,पून्य ह संग में जाही ******************************  रचना महेन्द्र देवांगन माटी गोपीबंद पारा पंडरिया जिला  - कबीरधाम ( छ ग ) मो•नं•- 8602407353 ▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪

दीया जलाबोन

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बेरा ह बुड़गे चल दीया जलाबोन करबो पूजा अऊ आरती ल गाबोन बड़े मन के सब आसीरवाद पाबोन सुख शांति अऊ समरिद्धी ल लाबोन संझा बेरा के जय जोहार महेन्द्र देवांगन माटी

सुबह की हवा

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सुबह की हवा सबको भाये खिले फूल भौंरा गुनगुनाये पेड़ॊं पर चिड़िया चहचहाये बछड़ा देख गैया रंभाये । काका बाबा घुमने जाये कसरत कर सेहत बनाये बच्चे भी तो दौड़ लगाये सुबह की हवा सबको भाये।     महेन्द्र देवांगन माटी

गरमी के दोहे

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गरमी के दोहे ***************** तात तात हावा चले, पसीना ह बोहाय । कतको पानी पी तभो, टोंटा बहुत सुखाय।। गरम गरम लू चलत हे, गोंदली ल तैं राख । मुंहूं कान ल बांध ले , कर जतन तहूं लाख ।। चट चट भुइयां जरत हे, तीपत हे मुड़कान। छांव नइहे रसता में, लगत हे हलाकान ।। खटर खटर पंखा चले, नींद घलो नइ आत । मच्छर ह चाबत हाबे, कइसे कटही रात ।। साग पान मिठाय नहीं, बासी बने सुहाय । चटनी पीस खाले तैं, आमा बने लुभाय ।। महेन्द्र देवांगन माटी