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गरमी के मारे
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गरमी के मारे ********************** का लिखों कहिके, मन में सोंचत हों गरमी के मारे पसीना ल पोंछत हों चइत के महिना में, अतेक भोंभरा जरत हे चिरई चिरगुन मन, पियास में मरत हे पंखा के हावा गरम गरम लागत हे नींद नइ परे मच्छर ह चाबत हे भरे गरमी में लइका इस्कूल जावत हे पसीना चुचवात अऊ भात ल खावत हे कक्षा में बइठे सब झन उसनावत हे गुरूजी मन के घेरी बेरी टोंटा सुखावत हे महेन्द्र देवांगन माटी
वाह रे मोबाइल के जमाना
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वाह रे मोबाइल के जमाना ************************ आजकाल जेला देखबे तेला मोबाइल धरे पाबे। अइसे कोनो नइहे जेकर कर मोबाइल नइ होही। अमीर लागे न गरीब लागे, सब के पास एक से बढ़के एक माहंगा मोबाइल पाबे। बिना मोबाइल के कोनो चले नइ सके। एक परकार से एहा कलयुग नोहे मोबाइल युग हरे । लइका होय चाहे सियान होय छोटे होय चाहे बड़े होय ,टूरी होय चाहे टूरा होय सबला मोबाइल चाही। एकर बिना काकरो काम ह नइ चले। काम राहे चाहे मत राहे फेर मोबाइल धरना जरूरी हे। जेकर पास मोबाइल नइहे समझ ले वो दूनिया के सबसे पिछड़े आदमी हरे। मोबाइल के आय ले कतको काम बनत हे अऊ कतको काम बिगड़त हे। एहा उपयोग करइया के उपर हे। मोबाइल हाबे त सबला नेट पैक भराना भी जरूरी हे। नहीं ते तोर मोबाइल डब्बा भर हरे। अउ जेकर मोबाइल में हाबे नेट, समझ ले वो हाबे कोनो न कोनो से सेट।अहू बात पक्का हे। आज फेसबुक, वाटसप, मैसेन्जर, ट्वीटर दूनिया भर के एप के माध्यम से आदमी नावा नावा दोस्त बनावत हे अऊ रोज ओकर से गोठियावत हे।भले परोस में कोन रहिथे तेला आदमी नइ जाने। फेर दूनिया के अंतिम छोर में बइठे आदमी से रोज गोठियाथे। कतको टूरी टूरा मन मोबाइल के नाम से बिग
हमर नंदावत खेल
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हमर नंदावत खेल ************************* जब ले आहे किरकेट ह, गुल्ली डंडा नंदागे लइकापन के बांटी भंउरा, जाने कहां गंवागे पारा भर के लइका मन ह, हटरी म सकलाये खेलन छू छुवउला संगी, अब्बड़ मजा आये बेंदरा सही पेड़ में कूदन, खेलन डंडा पचरंगा पटकीक पटका कुसती खेलन, कोनों राहे बजरंगा तुक तुक के बांटी खेलन, अऊ चलावन भंऊरा रेसटीप अऊ नदी पहाड़ ल, खेलन चंऊरा चंऊरा बदलगे जमाना संगी, जम्मो खेल नंदागे तइहा के बात ल बइहा लेगे, संसकिरती ल भुलागे टीवी अऊ मोबाइल में, सबो आदमी भुलाये हे सुन्ना परगे खोर गली, कुरिया में दुनिया समाये हे रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया
होली की मस्ती
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बुरा न मानों होली है 2 ************************ डी पी भैया गाना गाये, रिखी राग लमाय झूम झूम के शीला नाचे, चुम्मन नंगाड़ा बजाय परमानंद प्रकाश प्यारे ह, झोंकत हाबे राग दुलारी सुधा सरला ह, खेलत हाबे फाग राम गणेश अऊ तेज ह, भिगोवत सबके चोली अनुसुइया आरती शैल संग, करत हांसी ठिठोली माटी मनोज बलराम सब, डारत हे रंग पक्का सुनील सुधीर दीनदयाल, बनके नाचत छक्का होली के ए अवसर में, खावो भांग मलाई मोर डाहर ले सबो झन ल, होली के बधाई महेन्द्र देवांगन माटी
बुरा न मानों होली है 1
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बुरा न मानों होली है 1 - -- ************************** ऋषि भैया गाना गाये, लहरी राग लमाय झूम झूमके गरिमा नाचे, सरवन नंगाड़ा बजाय बलवंत हेम ललित ह, झोंकत हाबे राग दुलारी सुधा लता ह, खेलत हाबे फाग अजय अनिल राजेश ह, भिगोवत सबके चोली रश्मि किरण राजेश्वरी संग, करत हांसी ठिठोली माटी मिलन महेतरु सब, डारत हे रंग पक्का सोनू संतोष सालिक ह, बनके नाचत छक्का सुखन देवेंद्र तरुण ह, पीके नाचत आज शकुंतला ह गारी देवत, नइ लागे का लाज दुलारी शशि प्रतिभा ह, बनावत हाबे चीला ओमप्रकाश अशोक मथुरा मन, खावत हे माई पिला अमन देव सुनील मन, बजावत हाबे बाजा रामकुमार रितुराज मनी ल, बनाये हे दुल्हा राजा दीपक हर्ष संजीव के, निकले हाबे टोली सबो संगवारी मिलके, चलो मनाबो होली होली के ए अवसर में, खावो भांग मलाई मोर डाहर ले सबोझन ल, होली के बधाई महेन्द्र देवांगन माटी