सुबह की हवा सबको भाये खिले फूल भौंरा गुनगुनाये पेड़ॊं पर चिड़िया चहचहाये बछड़ा देख गैया रंभाये । काका बाबा घुमने जाये कसरत कर सेहत बनाये बच्चे भी तो दौड़ लगाये सुबह की हवा सबक...
मजदूर ************** पसीना ओगार के मेंहनत करथे दुनिया ल सिरजाथे रात दिन मजदूरी करथे तब मजदूर कहाथे । नइ खाये वो इडली डोसा चटनी बासी खाथे धरती दाई ल हरियर करथे माटी के गुन गाथे । घाम पियास ल सहिके संगी जांगर टोर कमाथे खून पसीना एक करथे तब रोजी रोटी पाथे । बिना मजदूर के काम नइ चले दुनिया ह रुक जाही जब तक मेंहनत नइ करही त कहां ले विकास हो पाही । रचना महेन्द्र देवांगन माटी शिक्षक ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ. ग. ) 8602407353 matikerachana.blogspot.com