मोर छत्तीसगढ़ ( गीत)
मोर छत्तीसगढ़ महतारी हा , सरग बरोबर लागे । गुरतुर गुरतुर भाखा बोली , सबके मन ला भा गे ।। मोर छत्तीसगढ़ महतारी हा .......... ................ भेदभाव नइ जानय इँहा , सबके सेवा करथे । मिल बाँट के खाथे सुघ्घर , दुख पीरा ला हरथे । धरती दाई के सेवा खातिर, बिहना ले सब जागे । मोर छत्तीसगढ़ महतारी हा , सरग बरोबर लागे ।। आनी बानी तीज तिहार ला , मिलके सबो मनाथे । ठेठरी खुरमी चीला सोंहारी , घर घर सबो बनाथे । गुलगुल भजिया अबड़ मिठाथे , थरकुलिया मा माँगे । मोर छत्तीसगढ़ महतारी हा , सरग बरोबर लागे ।। सीधा सादा मनखे इँहा , गारी गल्ला नइ जानय । घर मा आथे कोनों सगा , देवता सही मानय । देख इँहा के रीत रिवाज ला , दुनिया भर मा छा गे । मोर छत्तीसगढ़ महतारी हा , सरग बरोबर लागे ।। महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया (कवर्धा) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan. Mati @ 01