Posts

देवारी तिहार आवत हे

Image
देवारी तिहार आवत हे ***************** फुरुर फुरुर हावा चलत,जाड़ ह जनावत हे । दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे । माटी के कोठ ल, दाई ह छबनावत हे। ओदरे हे चंऊरा ह, बबा ह बनावत हे। भर भर के गाड़ा में, माटी ल डोहारत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। फुट गेहे भांड़ी ह, कका ह उठावत हे। कोरई के राईचर ल, घेरी बेरी बनावत हे। बखरी बारी ल, रोज के सिरजावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। गाँव गली कोलकी ल, रोज के बहारत हे। दऊंड़ दऊंड़ के बोरिंग ले, पानी डोहारत हे। गोबर में अंगना ह, रोज के लीपावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। नावा नावा कपड़ा ल, नोनी बाबू सिलावत हे। हांस हांस के अपन , संगवारी ल देखावत हे। आनी बानी के सबोझन, फटाका लेवावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। अपन अपन घर ल,सब कोई लीपावत हे। कपाट बेड़ी मन में, रंग ल लगावत हे। माटी के दीया ल , घर घर जलावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। *********************** रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.c

दाई के मया

Image
दाई के मया ************** तोर मया के अंचरा में दाई, खेलेंव कूदेंव बढेंव । पढ़ लिख के हुसियार बनेंव, जिनगी के रसता गढेंव। सोज रसता म तैं चलाये, कांटा कभू नइ गड़ेंव । मया के झूलना म तैं झुलाये, सुख के पाहड़ चढेंव। लांघन भूखन खुद रहिके, मोला तैं खवायेस । जाड़ घाम अऊ पानी ले, मोला तैं बचायेस । खुद अड़ही रहिके दाई, मोला तैं पढायेस । नाम कमाबे बेटा कहिके, गोड़ में खड़ा करायेस । कतको दुख पीरा आइस, छाती में अपन छुपायेस बेटी बेटा के सुख खातिर, हांस के तै गोठियायेस। तोर मया के करजा ल, कभू उतार नइ पांवव । हर जनम में दाई मेंहा, तोरेच कोरा में आंवव । **************************** रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  (छ ग ) पिन - 491559 मो नं -- 8602407353 Email - mahendradewanganmati@gmail.com

दाई के मया

दाई के मया ************** तोर मया के अंचरा में दाई, खेलेंव कूदेंव बढेंव । पढ़ लिख के हुसियार बनेंव, जिनगी के रसता गढेंव। सोज रसता म तैं चलाये, कांटा कभू नइ गड़ेंव । मया के झूलना म तैं झुलाये, सुख के पाहड़ चढेंव। लांघन भूखन खुद रहिके, मोला तैं खवायेस । जाड़ घाम अऊ पानी ले, मोला तैं बचायेस । खुद अड़ही रहिके दाई, मोला तैं पढायेस । नाम कमाबे बेटा कहिके, गोड़ में खड़ा करायेस । कतको दुख पीरा आइस, छाती में अपन छुपायेस बेटी बेटा के सुख खातिर, हांस के तै गोठियायेस। तोर मया के करजा ल, कभू उतार नइ पांवव । हर जनम में दाई मेंहा, तोरेच कोरा में आंवव । **************************** रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  (छ ग ) पिन - 491559 मो नं -- 8602407353 Email - mahendradewanganmati@gmail.com

जय गनेस देवता

Image
जय गनेस देवता ***************** जय गनेस देवता, पहिली सुमरनी गांवव तोर गियान बुद्धि के देने वाला -2, हरले संकट मोर जय गनेस देवता :::::::::::::::: लंबा लंबा सूंड़ हाबे अऊ, पेट हे बड़ भारी सूपा जइसे कान हाबे तोर, मुसवा के सवारी सबके मंगल करने वाला -2 पंइया परत हों तोर जय गनेस देवता ••••••••••••••••••••• तोर दया से अंधरा देखे, गूंगा गाना गाथे लूला लंगड़ा कतको राहे,  पहाड़ में चढ़ जाथे जेकर ऊपर तोर किरपा हे-2, सुख पाथे चारों ओर जय गनेस देवता ••••••••••••••••••••••• हाथ जोड़ के बिनती करत हों, सबके भंडार भरबे माटी के हरे काया परभु, सदा सहाय करबे भूल चूक तै माफी देबे -2, सुनले अरजी मोर जय गनेस देवता •••••••••••••••••••• महेन्द्र देवांगन माटी संपर्क - 9993243141

काबर आथे तीजा

काबर आथे तीजा ***************** काबर आथे संगी तीजा, चार दिन में हमरो निकलगे बीजा । बिहनिया उठ के, चाहा ल डबकावत हों , कभू मीठ त कभू, सीटठा ढरकावत हों । रतिहा के बरतन ल,बिहनिया मांजत हों, दुवारी में कुकुर हाग देथे, वहू ल डारत हों । लकर धकर के रंधई में, सीध नइ परत हे , कभू भात चीपरी, त कभू साग ह जरत हे । ऊत्ता धुररा नहा के, ड्यूटी जावत हों , बिहनिया के रांधे ल, संझाकुन  खावत हों । काबर आथे संगी तीजा, चार दिन में हमरो निकलगे बीजा । महेन्द्र देवांगन माटी          पंडरिया 8602407353 ,   9993243141 🌹🌹🌹😀😀Ⓜ🙏🙏

नंदावत पोरा तिहार

Image
पोरा पटकई ह घलो नंदावत हे , कोनों ह अब पटके ल नइ जावत हे । घर में खुसरे खुसरे पोरा मनावत हे , ठेठरी खुरमी ल मुसुर मुसुर खावत हे । माटी के बइला में चीला चढावत हे , ठेठरी खुरमी ल सींग में ओरमावत हे। लइका मन तको बइला नइ चलावत हे , मोबाइल में गेम खेलके दिन ल पहावत हे । चुकी पोरा ल नोनी मन भुलावत हे , टी वी के कारटून में मन ल झुलावत हे । सखी सहेली मन सुध नइ लेवत हे , घर बइठे वाटसप में बधाई ल देवत हे । अइसे लागथे धीरे धीरे सब नंदा जाही, का होथे पोरा  ह  कहाँ ले जान पाही । पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई Ⓜमहेन्द्र देवांगन "माटी"Ⓜ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏

जय गनेस देवा

Image
जय गनेस देवा ********************* हिन्दू धरम में कोई भी काम करथे त सबसे पहिली गनेस जी के पूजा करे जाथे । गनेस जी ह मंगलकारी अऊ विघ्नहर्ता देवता हरे ।            भादो महिना में चतुरथी से ले के चतुरदसी तक माने दस दिन तक पूरा भारत भर में गनेस उत्सव के रुप में मनाय जाथे । भादो महिना के अंजोरी पांख के चतुरथी के दिन गनेस जी के पूजा पाठ करके स्थापना करे जाथे। पूरा दस दिन तक धूमधाम से पूजा करे जाथे । आजकाल पूरा पंडाल ल विसेस रुप से सजाय जाथे अऊ कई परकार के कारयकरम भी रखे जाथे । गनेस भगवान ह हिन्दू मन के अराध्य देव हरे । कोई भी काम करे के पहिली एकरे पूजा करे जाथे । शिव पुराण में एक कथा आथे कि एक दिन माता पारवती ह अपन सरीर के मइल ल निकाल के एक बालक बनाइस ओकर नाम ओहा गनेस रखिस। जब माता पारवती ह नहाय बर गिस त गनेस जी ल पहरेदारी करे बर दरवाजा में खड़ा कर दिस अऊ बोलीस के मोर नहात ले कोनो ल भी भीतर खुसरन मत देबे । त गनेस जी ह दरवाजा में खड़े राहे । थोकिन बाद में संकर जी ह आ गे अऊ भीतरी डाहर खुसरे ल धरीस , त गनेस जी ह वोला रोक दीस । गनेस जी बोलीस के तेंहा अभी अंदर नइ जा सकस । तब गनेस जी अऊ संकर ज