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काबर आथे तीजा

काबर आथे तीजा ***************** काबर आथे संगी तीजा, चार दिन में हमरो निकलगे बीजा । बिहनिया उठ के, चाहा ल डबकावत हों , कभू मीठ त कभू, सीटठा ढरकावत हों । रतिहा के बरतन ल,बिहनिया मांजत हों, दुवारी में कुकुर हाग देथे, वहू ल डारत हों । लकर धकर के रंधई में, सीध नइ परत हे , कभू भात चीपरी, त कभू साग ह जरत हे । ऊत्ता धुररा नहा के, ड्यूटी जावत हों , बिहनिया के रांधे ल, संझाकुन  खावत हों । काबर आथे संगी तीजा, चार दिन में हमरो निकलगे बीजा । महेन्द्र देवांगन माटी          पंडरिया 8602407353 ,   9993243141 🌹🌹🌹😀😀Ⓜ🙏🙏

नंदावत पोरा तिहार

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पोरा पटकई ह घलो नंदावत हे , कोनों ह अब पटके ल नइ जावत हे । घर में खुसरे खुसरे पोरा मनावत हे , ठेठरी खुरमी ल मुसुर मुसुर खावत हे । माटी के बइला में चीला चढावत हे , ठेठरी खुरमी ल सींग में ओरमावत हे। लइका मन तको बइला नइ चलावत हे , मोबाइल में गेम खेलके दिन ल पहावत हे । चुकी पोरा ल नोनी मन भुलावत हे , टी वी के कारटून में मन ल झुलावत हे । सखी सहेली मन सुध नइ लेवत हे , घर बइठे वाटसप में बधाई ल देवत हे । अइसे लागथे धीरे धीरे सब नंदा जाही, का होथे पोरा  ह  कहाँ ले जान पाही । पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई Ⓜमहेन्द्र देवांगन "माटी"Ⓜ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏

जय गनेस देवा

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जय गनेस देवा ********************* हिन्दू धरम में कोई भी काम करथे त सबसे पहिली गनेस जी के पूजा करे जाथे । गनेस जी ह मंगलकारी अऊ विघ्नहर्ता देवता हरे ।            भादो महिना में चतुरथी से ले के चतुरदसी तक माने दस दिन तक पूरा भारत भर में गनेस उत्सव के रुप में मनाय जाथे । भादो महिना के अंजोरी पांख के चतुरथी के दिन गनेस जी के पूजा पाठ करके स्थापना करे जाथे। पूरा दस दिन तक धूमधाम से पूजा करे जाथे । आजकाल पूरा पंडाल ल विसेस रुप से सजाय जाथे अऊ कई परकार के कारयकरम भी रखे जाथे । गनेस भगवान ह हिन्दू मन के अराध्य देव हरे । कोई भी काम करे के पहिली एकरे पूजा करे जाथे । शिव पुराण में एक कथा आथे कि एक दिन माता पारवती ह अपन सरीर के मइल ल निकाल के एक बालक बनाइस ओकर नाम ओहा गनेस रखिस। जब माता पारवती ह नहाय बर गिस त गनेस जी ल पहरेदारी करे बर दरवाजा में खड़ा कर दिस अऊ बोलीस के मोर नहात ले कोनो ल भी भीतर खुसरन मत देबे । त गनेस जी ह दरवाजा में खड़े राहे । थोकिन बाद में संकर जी ह आ गे अऊ भीतरी डाहर खुसरे ल धरीस , त गनेस जी ह वोला रोक दीस । गनेस जी बोलीस के तेंहा अभी अंदर नइ जा सकस । तब गनेस जी अऊ संकर ज

पोरा तिहार

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चल पोरा तिहार मनाबोन, ठेठरी खुरमी अऊ चीला बनाबोन । नंदिया बइला में चढाबोन, सिल्ली लगा के दऊड़ाबोन। चुकी पोरा ल सजाबोन, जांता ल चलाबोन। देवी देवता ल मनाबोन, चल पोरा तिहार मनाबोन । पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई महेन्द्र देवांगन माटी

तीजा पोरा

तीजा पोरा ************* तीजा पोरा आत हे, एती भाटों के करलई देखे नइ जात हे। दीदी ह मने मन में हांसत हे , भाटों ह जाग जाग के खांसत हे । दीदी ह अपन कपड़ा लत्ता ल जोरत हे , भाटों ह मने मन में रोवत हे । दीदी ह फोन कर करके बलावत हे , भाटों के जीव ल अऊ जलावत हे । दीदी ह जाय के जोरा करत हे , एती भाटों के नींद नइ परत हे । तीजा पोरा आत हे एती भाटों के करलई देखे नइ जात हे। दीदी ह मइके में तेलई बइठे हे , एती भाटों ह भूख के मारे अइठे हे । एक बेर के रांधे ल , भाटों दू बेर खावत हे , ओती दीदी ह घेरी बेरी लोटा धरके जावत हे । एती भाटों के पेट ह सप सप करत हे , ओती दीदी ह बरा सोंहारी खाके फस फस करत हे । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" (बोरसी - राजिम वाले ) 9993243141

अपना समाज

अपना समाज ************* अलग अलग है जाति सबका अलग अलग है काम । मिलजुल कर रहते हैं सभी तभी तो बनता है समाज । भेदभाव नहीं करते कभी सबका सहयोग करते हैं । जो भी संकट आये किसी पर सब मिलकर हल करते हैं । चौरासी जाति के बंधु मिलकर एक अथाह समाज बनाये हैं । है कुशल विद्वान यहाँ पर मोती ढूँढ कर लाये हैं । मिलते है जब एक जगह सागर सा दिखाई देता हैं । रखते है विचार यहां सब भाव अपनापन का होता है । है अपना उद्देश्य एक ही आगे सबको बढ़ाना हैं । न हो कोई समाज मे पीछे जन जन में जागृति लाना हैं ।। महेन्द्र देवांगन "माटी"

सावन सोमवारी

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सावन सोमवारी अऊ शिवजी ******************** सावन के महिना ह सबला सुघ्घर लागथे । रिमझिम रिमझिम पानी गिरत रथे अऊ किसान मन ह गाना गावत खेती किसानी में बुड़े रहिथे । उही समय में आथे सावन सोमवारी । सावन सोमवारी में शिवजी के पूजा करे में मजा आ जथे । लइका से लेके सियान तक , छोकरी से लेके डोकरी तक, सब मनखे शंकर भगवान के पूजा पाठ करथे । सावन मास ह शिव जी के प्रिय मास हरे । ए मास में पूजा करे से वोहा जल्दी खुस होथे अऊ मनवांछित फल देथे अइसे बताय जाथे । एकरे पाय पूरा भारत देस में सावन सोमवारी के दिन भोलेनाथ में जल चढाय जाथे अऊ बिसेस पूजा अरचना करे जाथे । पौरानिक मान्यता -- सोमवार उपवास के बारे में एक पौरानिक मान्यता हे कि ये पूजा ल माता पारवती ह शंकर भगवान ल अपन पति के रुप में  पाय बर करत रिहिसे । एकर से खुस होके भगवान शिव ह ओला मिलगे अऊ ओकर मनोकामना पूरा होगे । एकरे पाय कुंवारी लड़की मन भी भगवान भोलेनाथ जइसे अच्छा पति मिले कहिके उपवास रहिथे अऊ पूजा पाठ करथे । कावंरिया मन के टोली -- सावन मास में शंकर जी ल जल चढ़ाय बर गांव  गांव अऊ सहर सहर से कावंरिया मन टोली बनाके निकलथे । सब झन अपन अपन कां