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ए भुंइहा हे सरग बरोबर

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"ये भुइयाँ हे सरग बरोबर" ********************** ये भुइयाँ हे सरग बरोबर  चंदन कस जेकर माटी हे। जंगल झाड़ी परवत नदियाँ सब ह हमर थाती हे । हरियर हरियर लुगरा पहिने छत्तीसगढ़ महतारी हे। खेत खार अऊ देवी देवता हमर ये संगवारी हे । महानदी पैरी अऊ सोढू अमरित कस जेकर पानी हे। तीन लोक में महिमा जेकर गुरतुर हमर बानी हे । सुघ्घर बाग बगीचा जइसे खेत के हमर कियारी हे धान पान अऊ साग भाजी के सुंदर लगे फूलवारी हे । दया मया के थरहा जागे अइसन भाँटा बारी हे ये माटी ल माथ नवांवव एकर महिमा भारी हे।। *********************  रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ. ग) पिन- 491559 मो.- 8602407353 Email -mahendradewanganmati@gmail.com *****************

नकल

नकल - महेन्द्र देवांगन माटी *********** कविता उपर सब कविता लिखत हे आघू पाछू कुछू नइ दिखत हे दूसर के रचना ल नकल करत हे अपन नाम चलाय बर सबो मरत हे । अपन विवेक से लिख के, दुनिया ल देखावव चोरी करके रचना ल, अपयस झन कमावव कवि बने चक्कर में, कतको कविता चोरावत हे दूसर के नाम ल मेटाके, अपन नाम लिखावत हे नकल करे बर अकल चाही, अकल से काम चलावव खुद मेहनत करके संगी, दुनिया में नाम कमावव। महेन्द्र देवांगन माटी mahendradewanganmati@gmail.com

वीर जवानों को नमन - महेन्द्र देवांगन माटी

वीर जवानों को नमन - ******************** है नमन उन वीरों को, जिसने की मान बढ़ाया है। देश में छुपे गद्दारों को, पल में मार गिराया है। बहुत हुआ आतंकी हमला, अब न होने देना है। अपने वीर शहीदों का अब, बदला हमको लेना है। है हिम्मत तो आगे आओ, छुपकर तुम क्यों लड़ते हो। बेकसुरों को मार रहे हो, आगे आने से डरते हो। कितनों भी अब चाल चलो तुम, नहीं कामयाबी पाओगे। अपने वीर जवानों के आगे, हरदम मुंह की खाओगे। अपनी जान की बाजी देकर, जिसने देश बचाया है। खून की होली खेलकर जिसने, रंग चमन में लाया है। गर्व करता है सारा देश, करते उसे सलाम हैं। ऐसे वीर सपूतों को, माटी का प्रणाम है। वंदे मातरम्  रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" (शिक्षक) (बोरसी - राजिम) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ. ग)

जुलूस

जुलूस -- महेन्द्र देवांगन माटी ************** दारू भट्टी बंद करो कहिके सब झन ह सकलाइस आनी बानी के नारा लगा के जोर जोर से चिल्लाइस । हाथ में मशाल धर के जुलूस भारी निकालीस लोग लइका सबो झन ल  गली खोर किंजारीस । किंजर किंजर के थकगे सब हाथ गोड ह पिरागे गियापन ल सौंपीस ताहन जुलूस ह सिरागे । थक मांद के सब झन ह अपन अपन घर आईस थकान ल दूर करें बर भटठी डाहर भगाईस । दू दू पेग पीके सब थकान अपन मिटाईस लडबिड लडबिड करत घर में जाके सुरताईस ।। ************************ महेन्द्र देवांगन "माटी" बोरसी - राजिम

बासी चटनी

छ.ग.के बासी चटनी - महेन्द्र देवांगन माटी ---------------- छ ग.के बासी चटनी,सबला बने मिठाथे | इंहा के गुरतुर भाखा बोली,सबला बने सुहाथे || होत बिहिनिया बासी धरके,खेत किसान ह जाथे | अपन पसीना सींच सींच के,खेत म सोना उगाथे || नता रिशता मे हंसी ठिठोली,इंहा के सुघ्घर रिवाज ए | बड़े मनके पैलगी करना,इंहा के सुंदर लिहाज ए || बरा सोंहारी ठेठरी खुरमी,इंहा के कलेवा ए | चीला रोटी चंउसेला कतरा,इंहा के ये मेवा ए || मीत मितानीन महा परसाद मे,सबो मया बंधाये हे | जंवारा भोजली गंगाजल मे,गांव भर नता जुड़ाये हे || कका बबा अउ नाती नतरा,सब झन इंहा सकलाथे | बैइठ के पीपर चंउरा मे,बबा ह काहनी सुनाथे || छत्तीसगढिया सबले बढिया,सिरतोन के कहाथे | छ ग.के बासी चटनी,सबला बने मिठाथे || महेन्द्र देवांगन माटी बोरसी - राजिम (छ. ग.)

गांव ल झन भुलाबे

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गांव ल झन भुलाबे *************** शहर में जाके शहरिया बाबू ,गांव ल झन भुलाबे | नानपन के संगी साथी ल,सुरता करके आबे || गांव के धुर्रा माटी म खेलके ,बाढ़हे हे तोर तन ह आमा बगीचा अऊ केरा बारी म ,लगे राहे तोर मन ह आवाथे तीहार बार ह,सुरता करके आबे शहर में जाके …………….. सुरता कर लेबे पीपर चंउरा ल, अऊ गुल्ली डंडा के खेल ल गांठ बांध ले बबा के बात ल, अऊ मीत मितान के मेल ल हिरदय में अपन राखे रहिबे, मया ल झन बिसराबे शहर में जाके…………………………. दया मया ल राखे रहिबे, नता रिशता ल झन भुलाबे सुघ्घर सबके मान गउन करबे, अपन फरज निभाबे आँसू बोहावत देखत रहिथे, दाई के सुरता करके आबे शहर में जाके…………………………. छुटगे होही अंगाकर रोटी ह, अब तो तंदुरी ल खावत होबे इडली डोसा खा खाके, अब्बड़ मजा पावत होबे कतको खाले आनी बानी के फेर, तावा रोटी के सवाद कहां पाबे शहर में जाके शहरिया बाबू, गांव ल झन भुलाबे |  महेन्द्र देवांगन "माटी" बोरसी - राजिम (छ. ग.) 8602407353

महेन्द्र देवांगन माटी - गीत - उठो साथियों

गीत-उठो साथियों -------------- उठो साथियों अब तो जागो-2 राष्ट्रहित के काम को आओ पहले नमन करे हम,भारत माँ के लाल को -2 जिसने इस माटी की खातिर,अपना खून बहाया है मातृभूमि की सेवा करने,तन मन सारा लगाया है ऐसे बलिदानी वीरों का-2 याद करें उस नाम को आओ पहले------- देश की सेवा करने खातिर,जिसने अलख जगाया है अंग्रेजों को मार भगाने,अपना खून बहाया है ऐसे वीर सपूतों का-2 याद करे बलिदान को आओ पहले------- झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जब,काल बनकर आई थी गांव गांव और नगर नगर,आजादी की अलख जगाई थी हिला दिये अंग्रेजी सत्ता-2 कैसे भुलें उस नाम को आओ पहले------- चंद्रशेखर आजाद भगतसिंह,सबको जोश दिलाया है नवयुवकों को होश मे आने,जिसने घुटटी पिलाया है ऐसे वीर बहादुर के-2 याद करें उस काम को आओ पहले------- उठो साथियों------ रचना महेन्द्र देवांगन माटी बोरसी - राजिम (छ. ग.) 8602407353