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छेरछेरा

छेरछेरा ********* लइका सियान सब झोला धरके दुवारी दुवारी में जावत हे सबो कोई जुरमिल के छेरछेरा छेरछेरा चिल्लावत हे। डोकरी दाई दुवारी में बइठे मुठा मुठा देवत हे नोनी बाबू हांस हांस के धान ल लेवत हे। कोनों धरे टुकनी ल कोनों झोला धरे हे कोनों चूमड़ी ल धर के आघू में खड़े हे । लोग लइका खुस होके खावत हे मुररा लाई सबो झन देवत हाबे छेरछेरा के बधाई । सब झन ल छेरछेरा के गाड़ा गाड़ा बधाई महेन्द्र देवागंन माटी बोरसी - राजिम (छ. ग.) 8602407353

पितर

पितर ............................. जिंयत भरले सेवा नई करे,मरगे त खवावत हे | बरा सोंहारी रांध रांधके,पितर ल मनावत हे || अजब ढंग हे दुनिया के,समझ मे नइ आये| जतका समझेक कोशिश करबे,ओतकी मन फंस जाये || दाई ददा ह घिलर घिलरके,मांगत रिहिस पानी | बुढत काल मे बेटा ह, याद दिला दिस नानी|| दाई ददा ह मरगे तब, आंसू ल बोहावत हे बरा सोंहारी............ एक मुठा खाय ल नइ देवे,देवे वोला गारी | बेटा होके बापके,करे निंदाचारी || वोकरे कमई के राज म बइठे बइठे खावत हे| भुलागे सब एहसान ल,गुण ल तक नई गावत हे || मरगे बाप ह तब ,मांदी ल खवावत हे बरा सोंहारी........... बड़े बिहनिया सुत उठके,तरिया मे जाथे| आत्मा ओकर शांति मिले,पानी देके आथे|| कांव कांव करके कौआ ह,बरेण्डी मे आथे | दाई ददा ह आगे कहिके,बरा ल खवाथे मरगे दाई ददा तब,आनी बानी के खवावत हे बरा सोंहारी........... पहिली ले सेवा करतेयस,मिलतीस तोला सुख | कांही बातके जिनगी म,नइ होतिस तोला दुख देखा सीखी तोरा बेटा करही तोला वोइसने देही दुख तंहू ल,करे हस ते जइसने समय ह निकलगे तब पाछू बर पछतावत हे बरा सोंहारी.... जिंयत भरले............

भांटा मुरई

भांटा मुरई ---------------- आज रांधे हे घर में भांटा मुरई लकर धकर मे होगे अधकुचरा चुरई दाई ह चुप हे होगे बबा के चिल्लई छोटकी ह सुसकत हे होगे करलई सटकगे बहू के रंग रंग के बोलई कुरिया मे खुसरके होगे रोवई लइका ल भुलागे पियाय बर दवई मीठ मीठ बोलके माटी के मनई जाना हे जल्दी बाबू ल गंवई पेट नई भरीस आजके खवई आज रांधे हे............ रचना महेन्द्र देवांगन माटी बोरसी - राजिम छत्तीसगढ़ 8602407353

मटमटहा टूरा

मटमटहा टूरा ---------------- पढई लिखई मे ठिकाना नइहे , गली मे मटमटावत हे हार्न ल बजा बजाके फटफटी ल कुदावत हे घेरी बेरी दरपन देखके चुंदी ल संवारत हे आनी बानी के किरीम लगाके चेहरा ल चमकावत हे सूटबूट पहिन के निकले चशमा ल लगावत हे मुंहू म गुटका दबाके सिगरेट के धुंवा उडावत हे मोबाइल ल कान मे लगाके फुसुर फुसुर गोठियावत हे फेसबुक अउ वाटसप चलाके मने मन मुस्कावत हे संगी साथी संग घुम घुमके आदत ल बिगाडत हे फोकट म खाय ल मिलत त बाप के कमई ल उडावत हे लाज शरम तो बेचा गेहे कनिहा ल मटकावत हे नाक तो पहिली ले कटा गेहे अब कान ल छेदावत हे | रचनाकार महेन्द्र देवांगन "माटी" ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ. ग) 8602407353 *************************** इसे gurturgoth.com पर भी देख सकते हैं

नौकरी वाली बहू

नौकरी वाली बहू ******************** बी ए पास हे टूरा ह, लानीस नौकरी वाली बहू चार महीना में वहू ह, निकाल दीस सबके लहू सुत उठके बिहनिया ले, आफिस के तैयारी करथे चाहा तक बनाय नहीं, टूरा ह पानी भरथे झाड़ू पोंछा करे नहीं, सबला गोसइया करथे एको कनी कोई देरी होही, अब्बड़ ओहा लड़थे किरीम पाऊडर लिपिस्टिक ल, बेग में ओहा धरथे मुंहूं बांधे चसमा लगाय, स्कूटी में ओहा चलथे छुट्टी होथे आफिस के, संझा बेरा घर आथे घेरी बेरी मोबाइल बाजथे, फुसुर फुसुर गोठियाथे आनी बानी के खावत पीयत, बाई ह मोटावत हे एती टूरा ह संसो भरम में, दिनों दिन दुबरावत हे । महेन्द्र देवांगन माटी ( बोरसी-राजिम वाला) पंडरिया (छ. ग.) 8602407353

जी के जंजाल

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Mahendra Dewangan Mati Shared privately Jan 03, 2016 जी के जंजाल *************** जिनगी जी के जंजाल होगे तोर सुरता में बारा हाल होगे किंजरत रहिथों बइहा कस गांव भर में मोर बदनाम होगे । फोकट के देखेंव तोर सपना मोर नींद ह पूरा खराब होगे मिलना जुलना कुछु नहीं गांव भर में बवाल होगे । चंदा कस तोर चेहरा ह गांव भर में धमाल होगे हांसत बोलत रेंगत टूरी मुन्नी कस बदनाम होगे । महेन्द्र देवांगन "माटी" ( बोरसी राजिम ) 8602407353

आदमी अऊ कुकुर

आदमी अउ कुकुर --------------- आदमी ले जादा तो कुकुर के भाग खुले हे| आदमी कर चीथरा कथरी नइ राहे अउ कुकुर गद्दा में सुते हे| आदमी ह भीख मांगे ल जाथे,त धुरिहा ले भगाथे कुकुर ल भूख नइ लागत राहे तभो ले, गोदीम धरके खवाथे | नहाय बर पानी नइ राहे, आदमी डबरा म नहाथे, कुकुर के भाग ल देख मिनरल वाटर ल पियाथे | आदमी कर बने साइकिल नइ राहे, रेटही साईकिल मे चलथे वा रे किसमत वाला कुकुर मारुति इंडिका अउ नैनो कार मे घुमथे | आदमी ह बिमार परके,बिन गोली पानी के मर जाथे, कुकुर ह कोई बीमार परगे बडे बडे डाकटर ल बलाथे | आदमी ले जादा कुकुर के मान करत हे कुकुर छकत ले खात हे अउ आदमी पोट पोट मरत हे| कुकुर ह अब कुकुर न इ रहि गेहे आदमी देखे बर जावत हे देख मडई मेला मे आदमी के भविष्य ल कुकुर बतावत हे | महेंद्र देवागंन माटी (बोरसी - राजिम वाला) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ. ग.)