अभिलाषा ( ताटंक छन्द ) मातृभूमि पर शीश चढाऊँ, एक यही अभिलाषा है । झुकने दूंगा नहीं तिरंगा , मेरे मन की आशा है ।।1। नित नित वंदन करुँ मै माता, तुम तो पालन हारी हो । कभी कष्ट ना ...
पर्यावरण पच्चीसी स्वच्छ रखो पर्यावरण, सभी लगाओ पेड़ । रहे सदा खुशहाल सब , प्रकृति को मत छेड़ ।।1।। शुद्ध रखो पर्यावरण, स्वस्थ रहे परिवार । खान पान भी शुद्ध हो , कोइ न हो बीमार ...
आज के नेता ( उल्लाला छंद) नेता हावय आज के , कौड़ी ना हे काज के । माँगय पइसा रोज के , जेब मा धरथे बोज के ।।1।। खावत रहिथे पान ला , खजवावत हे कान ला । मुंहू दिखथे लाल जी , करिया करिया बा...
स्वच्छता अपनाओ आओ प्यारे मिलजुल करके , सब कोई हाथ बढायेंगे । बीमारी अब पास न आये , गंदगी तुरंत भगायेंगे ।।1।। कूड़ा कचरा को मत फेंको , एक जगह सब डाले जाओ । कागज झिल्ली पुट्ठा रद...
पेड़ लगाओ आओ मिलकर पेड़ लगायें, सबको मिलेगी छाँव । हरी-भरी हो जाये धरती, मस्त दिखेगा गाँव ।।1।। पेड़ों से मिलती हैं लकड़ी , सबके आती काम । जो बोते हैं बीज उसी का, चलता हरदम नाम ।...
शारदे वंदन चरण कमल में तेरे माता, अपना शीश झुकाते हैं । ज्ञान बुद्धि के देने वाली, तेरे ही गुण गाते हैं ।। श्वेत कमल में बैठी माता, कर में पुस्तक रखती है । राजा हो या रंक सभी ...