वाह रे मोबाइल के जमाना
वाह रे मोबाइल के जमाना ************************ आजकाल जेला देखबे तेला मोबाइल धरे पाबे। अइसे कोनो नइहे जेकर कर मोबाइल नइ होही। अमीर लागे न गरीब लागे, सब के पास एक से बढ़के एक माहंगा मोबाइल पाबे। बिना मोबाइल के कोनो चले नइ सके। एक परकार से एहा कलयुग नोहे मोबाइल युग हरे । लइका होय चाहे सियान होय छोटे होय चाहे बड़े होय ,टूरी होय चाहे टूरा होय सबला मोबाइल चाही। एकर बिना काकरो काम ह नइ चले। काम राहे चाहे मत राहे फेर मोबाइल धरना जरूरी हे। जेकर पास मोबाइल नइहे समझ ले वो दूनिया के सबसे पिछड़े आदमी हरे। मोबाइल के आय ले कतको काम बनत हे अऊ कतको काम बिगड़त हे। एहा उपयोग करइया के उपर हे। मोबाइल हाबे त सबला नेट पैक भराना भी जरूरी हे। नहीं ते तोर मोबाइल डब्बा भर हरे। अउ जेकर मोबाइल में हाबे नेट, समझ ले वो हाबे कोनो न कोनो से सेट।अहू बात पक्का हे। आज फेसबुक, वाटसप, मैसेन्जर, ट्वीटर दूनिया भर के एप के माध्यम से आदमी नावा नावा दोस्त बनावत हे अऊ रोज ओकर से गोठियावत हे।भले परोस में कोन रहिथे तेला आदमी नइ जाने। फेर दूनिया के अंतिम छोर में बइठे आदमी से रोज गोठियाथे। कतको टूरी टूरा मन मोबाइल के नाम से बिग